Who Controls State Bank of India? Understanding SBI’s Leadership

नमस्कार मैं रवीश कुमार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 200 साल पुराना बैंक है और भारत का सबसे बड़ा बैंक है जिस बैंक के पास 48 करोड़ ग्राहक हो और वह बैंक कहे कि 21 दिनों के भीतर इलेक्टोरल बंड का हिसाब किताब नहीं दे सकता है यह बात सभी को परेशान कर रही है स्टेट बैंक की अपनी विश्वसनीयता है इसके प्रबंधकों ने जब से सुप्रीम कोर्ट में अपील डाली है कि इलेक्टोरल बंड के बारे में जानकारी देने के लिए 10 30 दिन लगेंगे लोग स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का मजाक उड़ा रहे हैं सवाल कर रहे हैं उन्हें इसकी आशंका है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 16000 करोड़ का घोटाला

 

Who Controls State Bank of India? Understanding SBI's Leadership

(00:41) छिपा लेगा यह फैसला जिसका भी होगा उसका कुछ चेहरा होगा नाम होगा आज हम उन चेहरों की बात करेंगे सुप्रीम कोर्ट ने अभी कोर्ट की अपील पर कोई फैसला नहीं दिया है मगर इन लोगों के कारण लोगों का दिल बैठ गया है कि अब चंदे का खेल खेलने वाले घोटालेबाज का नाम चुनाव से पहले सामने नहीं आ सकेगा हम नाम और चेहरे की बात इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि हर जगह बैंक का नाम और उसका लोगो ही चेहरा बना हुआ है जैसे कांग्रेस ने यह पोस्टर जारी किया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का लोगो दरवाजे का की होल है कांग्रेस ने दिखाया है कि इसके पीछे से प्रधानमंत्री मोदी झांक रहे हैं लिखा है

(01:25) एसबीआई किसको छिपा रहा है इस तरह के लोगों से पता नहीं चलता कि इस बैंक को कोई आदमी भी चलाता है इतने बड़े बैंक की छवि दांव पर लगाने वाले उन शख्सियतों के बारे में थोड़ी बहुत तो जानकारी आपको होनी ही चाहिए नोटबंदी के समय तो किसी बैंक ने नहीं कहा कि हम नहीं कर पाएंगे हमें 4 महीने का समय चाहिए बस सबको जुटना पड़ ही गया और किया भी गया फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया किसे बचाने के लिए 136 दिन मांग रहा है इस तरह का फैसला लेने वाले यह लोग कौन हैं आप जानते हैं कि इलेक्टोरल बंड बेचने की अनुमति केवल स्टेट बैंक को मिली थी मगर 15 फरवरी के फैसले के बाद बंड बेचने पर रोक

(02:08) लगा दी गई इसे असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया गया मिलिए दिनेश कुमार खरा से जो एसबीआई के चेयरमैन हैं सवा लाख से अधिक कर्मचारियों वाले स्टेट बैंक के चेयरमैन कहीं से गुजर जाते होंगे तो दफ्तरों में सनसनी मत जाती होगी कुर्सियां छोड़कर खड़े होने की होड़ लग जाती होगी यह सब अगर नहीं भी होता होगा तब भी स्टेट बैंक के चेयरमैन का अपना रुतबा तो होता ही है क्या यह रुतबा केवल पद और कुर्सी से होना चाहिए दिनेश कुमार खरा के नेतृत्व में स्टेट बैंक ने जो फैसला किया है उससे इस बैंक की छवि दांव पर लग गई है जिस बैंक में हर दिन 23000 डिजिटल सेविंग अकाउंट खुलती हो वह

(02:52) बैंक कहे कि 22217 इलेक्टोरल बंड की जानकारी देने में उसे 136 दिन चाहिए तब फिर उस बैंक के नेतृत्व के बारे में बात बहुत जरूरी हो जाती है दिनेश कुमार खरा इस समय 10 महीनों के सेवा विस्तार पर हैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली नियुक्तियों की कैबिनेट कमेटी ने उन्हें सेवा विस्तार दिया है अक्टूबर 2023 में इनका कार्यकाल खत्म होने के ठीक एक दिन पहले इन्हें 10 महीने का सेवा विस्तार मिला था अगस्त 2024 तक चेयरमैन के पद पर रहेंगे सेवा विस्तार मिलने के पीछे एक कारण यही होगा कि इनसे योग्य कोई दूसरा व्यक्ति नहीं मिला और ना 10 महीने तक मिलने की उम्मीद होगी सेवा

(03:37) विस्तार के समय दिनेश कुमार खरा ने मीडिया से यही कहा था कि वे डेटा एनालिटिक्स पर काम कर रहे हैं आज वही दिनेश कुमार खरा इलेक्टोरल बंड के डाटा की एनालिसिस के लिए चार महीने मांग रहे हैं 22217 इलेक्ट्रॉनिक बॉन्ड की डिटेल निकालने के लिए हमारा सवाल है कि ऐसे में इनकी योग्यता पर सवाल क्यों नहीं नहीं किया जाना चाहिए जब बैंक पर सवाल हो सकता है तो बैंक के चेयरमैन पर क्यों नहीं सवाल होना चाहिए क्या दिनेश कुमार खरा इतिहास में अपना नाम इस तरह से दर्ज कराना चाहेंगे जिस व्यक्ति का बैंकिंग सेक्टर में 40 साल का अनुभव हो क्या ऐसा व्यक्ति

(04:17) अपनी जिंदगी भर की कमाई ऐसे लोगों को बचाने में लगा सकता है उन लोगों को जिन्होंने चंदे के नाम पर लोकतंत्र से धंधा किया और घोटाला किया है कई लोग स्टेट बैंक के फैसले को इस तरह से भी देख रहे हैं जैसे बैंक ने चंदे के धंधे में शामिल लोगों को बचाकर देश के संविधान की आत्मा और लोकतंत्र की पीठ में छुरा भोंकने का काम किया है स्टेट बैंक को लेकर आलोचनाएं तीखी होती जा रही हैं इसी संदर्भ में हम दिनेश कुमार खरा की बात कर रहे हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि उनकी भी बात हो जिनके नेतृत्व में स्टेट बैंक ने इतना बड़ा फैसला लिया होगा जिस फैसले के कारण

(04:58) 15 मार्च तक संविधान न के साथ फ्रॉड करने वालों और हजारों करोड़ों का चंदा देने वालों का नाम समय पर नहीं आ सकेगा तो ऐसे व्यक्ति का नाम भी लिया जाना चाहिए फैसला स्टेट बैंक के लोगों या साइन बोर्ड ने नहीं लिया है फैसला लेने वाले महान विभूतियों के बारे में आपको जानना ही चाहिए दिनेश कुमार खरा अक्टूबर 2020 में स्टेट बैंक के चेयरमैन बनाए गए दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स और एमबीए की पढ़ाई की है 1984 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े एसबीआई और उसके पांच एसोसिएट बैंकों और भारतीय महिला बैंक का जब विलय हुआ उसमें इनकी अहम भूमिका थी एक

(05:39) समय पर दिनेश कुमार खरा एसबीआई के रिस्क आईटी और कंप्लायंस के इंचार्ज भी रहे हैं यानी इनका आईटी के क्षेत्र में अच्छा खासा अनुभव भी है फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया है कि वित्त वर्ष 20222 में इनकी सैलरी पिछले वर्ष के मुकाबले 75 प्र बढ़ा दी गई अखबार ने ने इनकी सैलरी के बारे में क्यों रिपोर्ट किया है हमें समझ नहीं आया डिजिटल कामयाबी को स्टेट बैंक बढ़ा चढ़ा कर बताता है मगर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी डिजिटल तरीके से नहीं रखता है क्यों नहीं रखता है और अगर रखता है तो मिलान कर डाटा देने में तीन हफ्ते की जगह 4 महीने क्यों चाहिए दिसंबर 2023

(06:20) में सीएनबीसी टीवी 18 से दिनेश कुमार खरा ने कहा था कि हम सबके लिए डिजिटल पहली प्राथमिकता है हमने इसमें काफी निवेश किया है ताकि हम अपनी डिजिटल क्षमता को बढ़ा सकें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर जाएंगे तो चेयरमैन दिनेश कुमार खरा का ही संदेश मिलेगा जिसमें उन्होंने पूरा विस्तार से बताया है कि बीते वर्षों में स्टेट बैंक ने क्या-क्या हासिल किया है वे बताते हैं कि वित वर्ष 2023 में एसबीआई ने सवा करोड़ रेगुलर सेविंग अकाउंट खोले जिसमें से 64 फीदी डिजिटल माध्यम से खोले गए यह जानकारी भी दी गई कि 2022 में एसबीआई को आईबीए एनुअल बैंकिंग टेक्नोलॉजी

(07:01) अवार्ड्स द्वारा बेस्ट डिजिटल फाइनेंशियल इंक्लूजन की श्रेणी में लगातार चौथी बार नवाजा गया था दिनेश कुमार खरा जब प्रबंध निदेशक थे तब भी इन्हें 2 साल का सेवा विस्तार मिल चुका है 2019 में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यकाल पूरा कर रहे थे तब मोदी सरकार ने इन्हें 2 साल का सेवा विस्तार दिया 2020 अक्टूबर में चेयरमैन बनाए गए इस समय 10 महीने के सेवा विस्तार पर हैं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक अश्विनी कुमार तिवारी को भी 2 साल का सेवा विस्तार मिला हुआ है जाहिर है काफी योग्य व्यक्ति होंगे तभी 2 साल का सेवा विस्तार मिला है इतने काबिल व्यक्ति

(07:45) के होते हुए स्टेट बैंक 21 दिनों में 22217 बंड की डिटेल चुनाव आयोग को नहीं दे सकता है क्या इनके नेतृत्व में बैंक दिन रात लगाकर जानकारी नहीं दे सकता था क्या यह बात उनके बैंक के कर्मचारी नहीं जानते हैं कि जब टारगेट पूरा करना होता है तो बैंकों की हजारों शाखाओं में लाखों कर्मचारी कैसे दिन रात काम करते हैं ब्रांच में देर रात तक टिके रहते हैं और टारगेट पूरा करने का तनाव झेलते हैं तब स्टेट बैंक ने यह चैलेंज क्यों नहीं लिया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करके क्यों नहीं देश को दिखा दिया आप हैं अश्विनी कुमार तिवारी एसबीआई के प्रबंध

(08:28) निदेशक इसी जनवरी 2024 में आपका कार्यकाल खत्म होने वाला था लेकिन 2 साल का सेवा विस्तार मिल गया अश्विनी कुमार तिवारी के 2 साल तक सेवा विस्तार मिलने से कितने लोगों का प्रबंध निर्देशक बनने का चांस हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो गया होगा इन्हें नियुक्तियों की कैबिनेट कमेटी ने सेवा विस्तार दिया है यानी हाई लेवल का मामला है प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कैबिनेट कमेटी में होते हैं कायदे से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू नहीं कर पाने के कारण सेवा विस्तार पर चल रहे इन अफसरों को तुरंत पद से हटा देना चाहिए दूसरे अफसरों को नेतृत्व संभालने का मौका

(09:08) मिलना चाहिए सेवा विस्तार को सरकार की कृपा के नजर से भी देखा जाता है डू यू गेट माय पॉइंट अश्विनी कुमार तिवारी के अलावा एक और प्रबंध निदेशक हैं उन्हें भी 2 साल का सेवा विस्तार मिला है यह है सीएस शेट्टी जनवरी 2023 में इन्हें 2 साल का सेवा विस्तार मिला तब से प्रबंध निदेशक हैं यानी यह एसबीआई को चलाने वाले 13 सदस्यों के बोर्ड के तीसरे सदस्य हैं जो सेवा विस्तार पर हैं 13 सदस्यों के बोर्ड में एक ही महिला प्रबंध निदेशक हैं स्वाति गुप्ता स्वाति गुप्ता पूर्णकालिक निदेशक हैं इनके बारे में बैंक ने यही लिखा है कि यह 2012 से 17 तक दिल्ली नगर निगम की

(09:51) पार्षद रही हैं और जनल चेयरमैन रही हैं उसके बाद 2017 से 22 तक नगर निगम की शिक्षा समिति की मनोनीत सदस सदस्य रही हैं बैंक ने इन्हें सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद लिखा है एमसीडी की पार्षद रही हैं तो किसी पार्टी से रही हो सकती हैं इसका हमें ठीक-ठीक पता नहीं चल सका और यह भी नहीं कि बैंक ने इनकी जानकारी में इनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में क्यों नहीं लिखा है स्टेट बैंक की पूर्णकालिक निदेशक स्वाति गुप्ता और दिलशाद गार्डन की पार्षद रही स्वाति गुप्ता की तस्वीर में बहुत ज्यादा फर्क नजर नहीं आता है मगर फिर भी हम अपनी तरफ से इस वक्त कुछ नहीं कहना

(10:32) चाहते कि वे बीजेपी से ही जुड़ी रही हैं जबकि सोशल मीडिया पर दिलशाद गार्डन की पार्षद रही एक स्वाति गुप्ता की जो जानकारी मिलती है उससे यही पता चलता है कि उनकी गतिविधियां भारतीय जनता पार्टी की तरफ की रही हैं जैसे यह फोटो 2013 का है जिसमें स्वाति गुप्ता बीजेपी नेता विजय गोयल को माला पहना रही हैं और यहां स्वाति गुप्ता के हाथ में केजरीवाल शर्म करों का पोस्टर है स्ती गुप्ता का पेज है मगर उन्होंने ही बनाया है हम नहीं कह सकते इस पेज में बीजेपी का चुनाव चिन्ह है लेकिन बहुत ज्यादा गतिविधि यहां अब नहीं है स्वाति गुप्ता जब निदेशक बनाई गई तब मीडिया में

(11:12) इनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में कोई जानकारी रिपोर्ट नहीं हुई है कम से कम हमें नहीं मिली हमारी जिज्ञासा अभी भी अधूरी है कि स्वाति गुप्ता का संबंध बीजेपी से है या नहीं वैसे केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह बैंक के बोर्ड में अपना एक सदस्य नियुक्त कर सकती है जो भी है इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि स्टेट बैंक के 13 सदस्यों के बोर्ड में चेयरमैन के साथ-साथ तीन सदस्य ऐसे हैं जो सेवा विस्तार पर हैं हमारा सवाल है कि बोर्ड तक पहुंचने वाले काबिल लोग होते ही होंगे फिर इन लोगों ने 21 दिनों में जानकारी जुटाने का प्लान क्यों नहीं बनाया

(11:52) सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 3 हफ्ते बाद बैंक सुप्रीम कोर्ट से अपील करता है तब जब 6 मार्च की डेडलाइन में सिर्फ दो दिन रह जाते हैं सेवा विस्तार पर चल रहे नेतृत्व से आप हर काम में सेवा और समय विस्तार के अलावा क्या ही उम्मीद कर सकते हैं भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में लिखा है कि हमारी डिजिटल एप्लीकेशन योनो पर 6 करोड़ से अधिक यूजर हैं रोजाना औसतन 55 लाख लेनदेन डिजिटल माध्यम से होते हैं हर रोज 45000 डिजिटल पंजीकरण होते हैं रोज 1 करोड़ बार योनो पर लॉगिन किया जाता है बैंक की सालाना रिपोर्ट में लिखा है कि आज के समय में यह

(12:34) जरूरी है कि ऐसी संस्था बनाई जाए जो फिजिकली सर्वव्यापी हो फिजिकल और डिजिटल के विलय से यह शब्द बना है अगर फिजिकली सर्वव्यापी ही बनना था फिर क्यों नहीं बैंक ने फिजिकल बॉन्ड की डिजिटल कॉपी रखी पहला सवाल हमारा यह है कि इस देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक पूरी तरह से कंप्यूटराइज बैंक एसबीआई को 22200 इलेक्टोरल 217 इलेक्टोरल बंड देने के लिए पा महीने का समय क्यों चाहिए यह तो एक क्लिक ऑफ बटन पर होना चाहिए हमारा दूसरा सवाल यह है कि एसबीआई को एकाएक जब अवधि जिस दिन देना था उसके 24 घंटे पहले एसबीआई क्यों जागा क्या एसबीआई को 25 दिन का टाइम लग गया यह सोचने में कि

(13:24) उनको कितना वक्त लगेगा और यह बड़ा सवाल है एक और सवाल है और उसका मैंने उल्लेख भी किया कि 48 करोड़ अकाउंट 66000 करीब एटीएम 23000 करीब ब्रांचेस होने वाले एसबीआई को 22000 महज अकाउंट के लिए पा महीने चाहिए यह कितना हास्यास्पद है एसबीआई पर प्रेशर कौन बना रहा है इस आर्थिक अनियमितता को इस काले काले धंधे के काले धन के गोरख धंधे को कौन पनपने दे रहा था क्यों एसबीआई पर दबाव बनाया जा रहा है ऐसा क्या हो जाएगा अगर चुनाव के पहले यह नाम सामने आ गए और सवाल यह उठता है कि क्या लोगों को लोकतंत्र में यह जानने का हक नहीं है कि कौन किस पार्टी को कितना और कब चंदा दे
(14:14) रहा है जिससे वह देख समझकर वोटिंग के पहले अपना मन बना सके यह पूरा गोरख धंधा है अलायंस ऑफ एसबीआई के साथ की गई है हम लोग शुरू से कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी इस देश के हर संसाधन हर संस्थान हर संस्था पर कब्जा करना चाहती है पहले सीबीआई ईडी और इनकम टैक्स बने नए फ्रंटल अब लगता है एसबीआई बन गया है और समझना जरूरी है कि कितना भी षड्यंत्र एसबीआई और सरकार मिलकर रच ले मोदी जी ने किससे कब कितना पैसा लिया और उसके ऐवज में जांच बिठाई या जांच बंद करी उसके एवज में कौन सी नीति बनाई इसका फैसला जनता करेगी क् कि जनता सब देखती और सब
(15:01) समझती है रिटायर्ड कमोडोर लोकेश बत्रा ने आरटीआई के माध्यम से बता दिया है कि इलेक्टोरल बंड से संबंधित आईटी सिस्टम बनाने के लिए एसबीआई ने डेढ़ करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की है करण थापर से जस्टिस दीपक गुप्ता ने इंटरव्यू में कहा है कि वे उस बेंच का हिस्सा रहे हैं जिसने 2019 में इस मामले की सुनवाई की थी जस्टिस गुप्ता ने इंटरव्यू में कहा है कि अप्रैल 2019 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा था कि आप इस जानकारी को तैयार रखिए उसका ऐसा स्वरूप हो कि जब भी आपसे कोर्ट कहे आप जल्द से जल्द साझा कर सकें जस्टिस गुप्ता रिटायर हैं और उन्होंने कहा है कि
(15:42) वे एसबीआई के इस जवाब को बिल्कुल स्वीकार नहीं करते हैं और यह पूरी तरह से हास्यास्पद है करण थापर का इंटरव्यू आप द वायर के youtube0 में 100 करोड़ की कमाई करता है जिस बैंक की एक ऐप से इतनी कमाई हो उसने 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी क्यों नहीं दी क्यों उसे 136 दिनों का समय चाहिए अनेक उदाहरण मिलेंगे जिसमें स्टेट बैंक डिजिटल क्रांति की बात कर रहा है उसकी खूबियां बता रहा है लेकिन जब बात इलेक्टोरल बॉन्ड की आई तो ऐसी बातें कर रहा है जैसे यह बैंक मुनीम जी के बई खाते से चल रहा है इन्हीं सब कारणों से बैंक की नियत पर शक किया जा रहा है उसकी अपील को
(16:31) राजनीतिक नजरिए से देखा जा रहा है इलेक्टोरल बंड के मामले में याचिका दायर करने वाली संस्था एडीआर ने कहा है कि वह स्टेट बैंक की अपील का विरोध करेगी बैंक कर्मचारियों के संगठन बैंक एंप्लॉयज फेडरेशन ऑफ इंडिया ने प्रेस नोट जारी किया है और कहा है कि वे राजनीतिक मकसद के लिए बैंक के इस्तेमाल का विरोध करते हैं मांग करते हैं कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सारी जानकारी तय समय पर सार्वजनिक करें नमस्कार मैं रविश कुमार

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