चंदे पर कांग्रेस का विज्ञापन रोका गया | Electoral Bonds: Part 16

नमस्कार मैं रवीश कुमार चुनावी चंदे का बॉन्ड अखबारों से बॉन्ड की खबरें तो गायब हो ही गई हैं अब अगर आप विज्ञापन के रूप में इसे छपवा चाहे तो अखबार उससे भी इंकार कर दे रहे हैं कांग्रेस ने इस विज्ञापन की तस्वीर ट्वीट की है और कहा है कि एक भी बड़ा अखबार इस सच को छापने की हिम्मत नहीं जुटा पाया तो क्या आप विरोधी दल के विज्ञापनों पर भी सेंसर लग गया है और अखबारों ने छापने से मना कर दिया है एक यह ऐड था एक यह विज्ञापन था जिसमें हम 8252 करोड़ का चंदा जो भारतीय जनता पार्टी को मिला है उसको पेपर में छपवा चाहते थे इसको छपवाने के लिए हमने नीचे अपना नाम भी दिया सारा बेरा दिया कि चंदा दो धंधा लो चल रहा था इस विज्ञापन को छापने से मुख्य जो अखबार थे उन्होंने मना कर दिया वह डर गए उन्होंने कहा हम यह नहीं छाप सकते हैं जबकि यह विज्ञापन था हम इसके लिए पैसे भी दे रहे थे ऐसा क्यों है यह डर और यह आतंक का माहौल क्यों है इस देश में आज सवाल इस बात पर है कुछ छोटे अखबारों ने रीजनल पेपर्स ने इसको छापा है कुछ लोगों ने इस पर पढ़ा है अपनी प्रतिक्रिया भी दी है लेकिन बड़े-बड़े अखबार डर गए वह क्यों डर गए वह बार-बार मोदी जी को तभी क्यों छापना चाहते हैं जब मोदी जी हीरो लगे और सही लगे असलियत यह है कि गोरख धंधा जो इलेक्टोरल बंड का हुआ है उस पर सवाल उठाना तो दूर मुख्य धारा का मेन स्ट्रीम मीडिया एक विज्ञापन छापने से कतरा रहा है

Congress Ad Blocked Due to Donations | Electoral Bonds Part 16

जब विपक्ष का विज्ञापन नहीं छप रहा है तो सरकार के विरोध में लगने वाली खबरें कैसे छप जाएंगी हिंदी के संपादक नए भारत को लेकर लंबा-लंबा लेख लिख देते हैं विपक्ष को नकारा और कमजोर हर दिन बताते हैं लेकिन जब चुनावी चंदे के बंड के घपले की बात आई तो रिपोर्टिंग भूल गए संपादकीय नहीं लिख पा रहे हैं किसी को सवाल तो करना चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कौन सी लड़ाई है कि जिस कंपनी के यहां आयकर विभाग से लेकर ईडी तक पे मार रही है वही कंपनी बीजेपी को करोड़ों रुपए का चंदा दे रही है और बीजेपी ले रही है कोलकाता की केवेंटर ग्रुप की कंपनियों ने 2020 में 320 करोड़ रुपया बीजेपी को दिया है 320 करोड़ उस समय ईडी की जांच चल रही थी इस कंपनी ने कुल 616 करोड़ रुपए का चंदा दिया है क्या बीजेपी को ईडी की रेड के बाद उसी कंपनी से चंदा लेना चाहिए जहां ईडी शामिल होती है इसका मतलब है कि कंपनी या व्यक्ति हवाला कारोबार में शामिल रहा होगा मनी लरिंग में शामिल है तो ऐसी कंपनी से बीजेपी कैसे चंदा ले सकती है यही नहीं कंपनियां तब भी चंदा दे रही हैं जब मुनाफा नहीं हो रहा है हो भी रहा है

 

तो बहुत मामूली लेकिन चंदा दे रही हैं 100 करोड़ 200 करोड़ पौ करोड़ 201920 में केवेंटर ग्रुप को 12 लाख का मुनाफा हुआ 195 करोड़ चंदे में दे आई कंपनी 12 लाख रप पर इस खुशी को हम आपको कैसे समझाएं 195 करोड़ में से 144 करोड़ केवल बीजेपी को मिला वो भी तब जब मुनाफा मात्र 12 लाख का हुआ क्या यह कंपनियां अपना टैक्स बचाने के लिए इतना सारा पैसा बंड में लगा रही हैं लगता तो नहीं है अगर ऐसा है तो यह भी कोई बहुत बड़ा घपला है उसके अगले साल 2020 में 5. 18 करोड़ का मुनाफा होता है और कंपनी चंदा देती है 175 करोड़ का इस कंपनी के कर्मचारियों को जब पता चला होगा कि उनकी सैलरी तो बढ़ती नहीं है मगर कंपनी 00 करोड़ रुपए चंदे में दे आती है तो मारे खुशी के जमीन पर लौट गए होंगे और घर में मोदी मोदी चिल्ला रहे होंगे पर आप इतना तो सोच सकते हैं कि जिस कंपनी को मुनाफा ही 12 लाख का हो कभी पाच करोड़ का हो वह कंपनी प और उसकी सहायक कंपनियां अगले साल करीब 200 करोड़ का चंदा दे रही है मामूली मुनाफे वाली इन कंपनियों में बीजेपी को इतना पैसा देने का राष्ट्रवाद कहां से पैदा हो रहा है क्या इसमें किसी भी प्रकार का खेल या रिश्वतखोरी या धंधा आपको नजर

(04:22) नहीं आता छापा पड़ने के बाद जो चंदा मिला है ऐसा लगता है कि कंपनियों में खुशी की लहर दौड़ गई होगी कि मोदी मोदी सरकार की एजेंसियों ने कितना अच्छा किया बोर हो रहे थे हम लोगों को छापे के लायक समझा अरेस्ट कर लिया थोड़ा लाइफ में फन आ गया चलो अब कुछ चंदा दे आते हैं 100 200 करोड़ अपने लिए नहीं लेना और देश के लिए सब दे देना ऐसी देशभक्ति कॉरपोरेट के कर्मचारियों में ही आ सकती है आजकल वाले कर्मचारियों की जो खुद को न्यू इंडिया का नागरिक समझने लगे हैं हम आज के वीडियो में आपसे सवाल कर रहे हैं कि क्या आप भी ऐसा कर सकते हैं मतलब

(05:03) ईडी की टीम आपके घर आ जाए खाता जब्त कर ले आपको उठाकर जेल में डाल दे केस कर दे तो आप जाकर बीजेपी को ही चंदा देंगे 100 200 करोड़ का बॉन्ड खरीदेंगे बीजेपी के लिए मुझे पता है आप ऐसा ही करेंगे क्योंकि आप क्यूट हैं और नेशनलिस्ट तो है ही वैसे चंदा तो बीजेपी को उस कंपनी ने भी दिया जो बीफ का निर्यात करती है एलाना ग्रुप प्रोसेस फूड और मांस के निर्यात में देश की बड़ी कंपनियों में से एक मानी जाती है क्विंट ने बताया है कि देश की दो बड़ी कंपनियां हैं जो बीफ का निर्यात करती है एलाना ग्रुप की ही दोनों हैं और एक का नाम है एलाना प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी का

(05:45) नाम है फ्रीगोरीफिको जनवरी 2019 में आयकर विभाग ने इस ग्रुप पर छापेमारी की दो दिनों तक इसके 100 ठिकानों पर छापे पड़े छापेमारी के तीन महीने के बाद आयकर ने कहा कि समूह ने 2000 करोड़ की कर चोरी की है उसी साल के भीतर एलाना ग्रुप की तीनों कंपनियां 7 करोड़ के बॉन्ड खरीदती हैं जिन्हें बीजेपी और शिवसेना भुना लेती है बीजेपी को मिलता है 2 करोड़ और शिवसेना को मिलता है 5 करोड़ 2019 में चुनाव तक बीजेपी और शिवसेना एक ही साथ थे जब 2020 में दोनों का गठबंधन टूट गया तब भी इस ग्रुप ने 1 करोड़ का बॉन्ड खरीदकर बीजेपी को दिया बीफ को लेकर बीजेपी की

(06:33) राजनीतिक लाइन क्या है आप जानते हैं लेकिन बीफ की कंपनी से बीजेपी चंदा ले लेगी यह हम भी नहीं जानते थे अनवर चौहान हुसैन इन कंपनियों के निदेशक बताए जाते हैं जिस कंपनी पर 2000 करोड़ की कर चोरी का आरोप लगे उससे बीजेपी को क्या चंदा लेना चाहिए फिर वह किस आधार पर कहेगी कि उसकी एजेंसियां बिना भेदभाव के काम करती हैं तमाम रिपोर्ट देखकर तो यही लगता है कि कंपनियों की गर्दन दबा दी गई है छापे भी पड़ते हैं और विचारों को चंदा भी देना पड़ता है यूपीए की सरकार में इस तरह के भेदभाव भारत का कॉर्पोरेट मिस कर रहा था कुछ कमी खल रही थी मजा नहीं आ रहा है कोई

(07:19) गर्दन नहीं दबा रहा है तभी वह नीतियों को लेकर काफी आलोचनाएं किया करते थे कॉरपोरेट के बड़े-बड़े सीईओ वगैरह मालिक वगैरह अब छापे के के बाद चंदा दे आते हैं और चुप भी रहते हैं इससे कंपनियों में राष्ट्रवाद की भावना बोनस की शक्ल में बह रही है प्रतीत होता है काश नवयुग कंपनी वाले हमें बताते कि बीजेपी को बॉन्ड खरीद कर देने में उन्हें कितनी खुशी हुई तो हम भी उनकी खुशी आपसे साझा कर पाते द वायर में संगीत बरुआ पिशा रोटी की रिपोर्ट ने हैदराबाद की नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी की चंदा कथा खोल दी है इस कंपनी ने 55 करोड़ के बंड खरीद

(08:00) और सारा पैसा बीजेपी ने भुनाया 20188 अक्टूबर में इस कंपनी पर आयकर के 20 अफसरों की टीम ने छापेमारी की थी 6 महीने के बाद इस कंपनी ने 30 करोड़ के बॉन्ड खरीदे इन सभी को बीजेपी ने भुनाया नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी नवयुग ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी है यह वही कंपनी है जिसने सिल्क्यारा का वह टनल बनाया जो धस गया और 16 दिनों तक 41 मजदूर फंसे रहे सिल्क्यारा टनल मोदी सरकार के चारधाम प्रोजेक्ट का हिस्सा है इस कंपनी को 2020 में ऋषिकेश कर्ण प्रयाग के रेल लिंक प्रोजेक्ट का काम भी मिलता है 2019 में आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार से पोल वम डैम

(08:41) का जो कांट्रैक्ट नवयुग को मिला वह जगन रेड्डी की सरकार ने वापस ले लिया उस साल के अक्टूबर में भी नवयुग की ओर से भाजपा को 15 करोड़ का चंदा मिला 2021 में अदानी समूह नवयुग की एक कंपनी को मिले कृष्ण पटनम पोर्ट का अधिग्रहण कर लेता है अगले साल अक्टूबर 2022 में नवयुग 10 करोड़ के बॉन्ड खरीदती है जो फिर से भाजपा भुना लेती है चंदे के पीछे कितनी कहानियां घूम रही हैं कई दिनों से यह सारे नाम पब्लिक में आ रहे हैं क्या ऐसा हुआ कि इन कंपनियों का धंधा बंद हो गया ऐसा तो हुआ नहीं फिर क्यों मोदी सरकार चाहती थी कि बॉन्ड खरीदने वालों के नाम ना बताए जाएं

(09:22) क्या उसे अपना डर था कि जनता को पता चल जाएगा कि कांट्रैक्ट के बाद चंदा मिला है रेड के बाद चंदा मिला है हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग ने बीजेपी को 600 करोड़ से अधिक का चंदा दिया इतना पैसा तो कई कंपनियों का मुनाफा भी नहीं होता होगा फिर एक कंपनी एक पार्टी को इतना पैसा क्यों दे रही है विपक्ष को भी दिया है उस कंपनी ने लेकिन जिस सरकार के हाथ में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट देने की क्षमता हो छापे मारने का बेलगाम अधिकार हो उसकी पार्टी को इतना चंदा मिल रहा है साधारण बात तो है नहीं तो जो भी कंपनी चंदा दे रही है वह सबसे अधिक चंदा बीजेपी को दे

(10:06) रही है जब भी चुनाव हो रहे हैं और किसी व्यक्ति ने बॉन्ड खरीदे हैं उसका बड़ा हिस्सा बीजेपी ने भुनाया है इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दिखाया है कि 333 व्यक्तियों ने बॉन्ड खरीदे इसमें से मात्र 15 लोगों ने 169 करोड़ का चंदा दिया इस 159 करोड़ का 70 प्र यानी 115 करोड़ रुपया बीजेपी को मिलता है भारत में इतने दानी कहां से आ गए वो सारा दान बीजेपी को ही क्यों कर रहे हैं या किसी एक दो और दलों को थोड़ा-थोड़ा यह लोग बीजेपी को क्या प्रति सांसद के हिसाब से चंदा दे रहे थे क्या इन लोगों ने संवित पात्रा से एक्सक्लूसिव जानकारी साझा की

(10:53) है बंड्स के बारे में बात हुई हिसाब का किताब भी है यहां पर बिना हिसाब किताब के नरेंद्र मोदी जी की युग में बात नहीं होती कागज है हमारे पास बताइए आज भारतीय जनता पार्टी के 303 सांसद है 55 परज जो आज मेंबर ऑफ पार्लियामेंट है वह बीजेपी के 48 सांसद 9 प्र सांसद कांग्रेस पार्टी के 11 प्र सांसद 24 द्रविडा मुनित खज गम डीएमके के ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के 4 पर सांसद है 22 सांसद आप यहां पर जानक आश्चर्य चकित हो जाएंगे जहां भाजपा को 6000 करोड़ रुपए बंड के रूप में मिला वहीं टीएमसी को लगभग 1400 करोड़ और कांग्रेस को भी लगभग 1400 से अधिक करोड़ रुपए बंड के

(11:50) रूप में मिले सवाल उठता है 9 प्र सांसद और 1400 करोड़ रुपए आपको बंड के रूप में मिलता है कितनी बार बताया जाए कि कोई नियम ही नहीं था कि प्रति सांसद के हिसाब से चंदा मिलेगा बीजेपी चाहे जैसे भी हिसाब घुमा ले साफ है चंदा उसे ही ज्यादा मिला है क्या किसी कंपनी ने सामने आकर कहा कि हमने बीजेपी को 285 करोड़ रुपए का चंदा दिया है लेकिन बीजेपी के सांसद तो 300 हैं तब भी य हिसाब नहीं बैठता कि भाई आपने 15 करोड़ क्यों कम दिए किसी कंपनी ने बीजेपी को 50 करोड़ दिया तब भी प्रति सांसद के हिसाब से तुक नहीं बैठता कि बाकियों के हिसाब से तो आपने दिया नहीं क्या बीजेपी

(12:36) भरमानी का प्रयास नहीं कर रही है कानून वलाई थी सबसे बड़ी लाभार्थी वही नजर आ रही है आदित्य बिड़ला ग्रुप ने बीजेपी को 285 करोड़ का चंदा दिया है ग्रासिम कंपनी ने इतना चंदा दिया क्या अपने कर्मचारियों की सैलरी भी बढ़ा दी एक कंपनी के पास इतना अतिरिक्त पैसा होता है कि वह 285 करोड़ का चंदा दे दे क्या इसी के बदले सस्ते कपड़ों के आयात पर रोक लगी ताकि ग्रासिम का मुनाफा बढ़ता जाए आदित्य बिड़ला ग्रुप के कर्मचारियों की सैलरी का विवरण देखा जाना चाहिए कि जिस दौरान यह ग्रुप बीजेपी सहित अलग-अलग दलों को 555 करोड़ का चंदा दे रहा

(13:17) था उसी दौरान कंपनी के कर्मचारियों की सैलरी कितनी बढ़ाई जा रही थी यह सवाल बड़ा तो है आप मार्केट रिपोर्ट देखिए लोगों के पास उपभोग के पैसे नहीं हैं उनका काम बहुत बढ़ गया है कमाई ठहर गई है ऐसे में कंपनी अगर 555 करोड़ का चंदा दे रही है तो जाहिर है वह अपने कर्मचारियों को बोनस देती होगी वह कर्मचारी ही बता सकते हैं आदित्य बिड़ला ग्रुप के कर्मचारी अपने whatsapp2 5 करोड़ मोदी जी को दे दिया हमारी सैलरी नहीं बढ़ाई क्या यह कंपनियां पहले भी इतना पैसा चंदे में देती थी या इलेक्टोरल बंड आने के बाद इनके भीतर का राष्ट्रवाद जाग गया और यह 500 600 करोड़

(14:05) का चंदा देने लग गई यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी है अप्रैल 2020 में आदित्य बिड़ला ग्रुप के एचआर प्रमुख संतृप्त मिश्रा का बयान है पढ़िए आप भी कहते हैं कि नौकरियों को लेकर हम नैतिकता बार रहे हैं भले बिजनेस ना बचे मगर नौकरियां बची रहनी चाहिए तकलीफ है तो सबको उठानी होगी उस समय सवाल पूछा जा रहा था कि क्या कंपनी में भी छटनी हो रही है तब संतृप्त मिश्रा ने ज्ञान दिया कि हमने तय किया है कि इस साल सैलरी नहीं बढ़ाएंगे बताइए कंपनी के पास सैलरी बढ़ाने के पैसे नहीं हैं और कंपनी 285 करोड़ चंदे में बीजेपी को दे देती है कुल चंदा इस ग्रुप ने 5855 करोड़

(14:46) का दिया है तो अब मिडिल क्लास को हिंदी में लूटपाट का यह खेल समझ में आया कि नहीं आया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जो सूची जारी की है उसमें 466 करोड़ का कोई हिसाब नहीं नहीं दिया यह देश का इतना बड़ा बैंक है आपसे एक-एक जानकारी ले लेता है और 466 करोड़ का बॉन्ड कौन खरीद गया कौन भुना गया इनको पता ही नहीं है अब आप यहां देखिए इस लिस्ट में लिखा है खरीदार का पता नहीं है जबकि राशि है 466 करोड़ तो स्टेट बैंक को यह पता नहीं है क्या यह मामूली बात है सिद्धार्थ वर्धराजन ने एक ट्वीट किया है भाजपा को इलेक्टोरल बॉन्ड से कुल 8252 करोड़ का चंदा मिला मगर चुनाव आयोग

(15:29) और एसबीआई की लिस्ट से केवल 6000 करोड़ के चंदे की जानकारी बाहर आई है सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि पार्टियों को अप्रैल 2019 से पहले के दानदाताओं की जानकारी देनी होगी मगर भाजपा ने ऐसा नहीं किया कहा गया कि भाजपा ने यह रिकॉर्ड नहीं रखा है इसका मतलब है भाजपा 2252 करोड़ के चंदे की जानकारी छिपा रही है यानी भाजपा को बॉन्ड से मिली कुल राशि का 25 प्र कहां से आया अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है तो बंड के पीछे जो घोटाला हुआ है अगर उसकी खबर नहीं छप रही है विज्ञापन नहीं छप रहे हैं तो आप समझ सकते हैं कि घोटाले की जानकारी या रिपोर्टिंग का क्या हाल होगा

(16:13) रही बात जांच की तो ईडी इसकी जांच कर ही नहीं सकती कि बीजेपी को जो हजारों करोड़ का चंदा मिला है वह किसी घूस या धंधे का हिस्सा है या नहीं या कंपनियों ने इतने पैसे देने के लिए मनी लरिंग तो नहीं की बीजे ओड़ीशा में इसकी सरकार है दान देने वाली इसे जो दान देने वाली 10 बड़ी कंपनियां हैं उसमें से नौ कंपनियां ऐसी हैं जो खनिज और स्टील के सेक्टर से जुड़ी हैं बीजेडी को कुल 775 करोड़ रुपए मिले हैं चंदे में इन्हीं कंपनियों को जब ठेका मिलता है तब लोगों के घर उजाड़ जाते हैं जंगल काटे जाते हैं तब क्यों नहीं लोगों को पता होना चाहिए कि किसी कंपनी को देश के वि के नाम

(17:00) पर ठेका मिला है उस कंपनी ने सरकार चलाने वाली पार्टी को कितना चंदा दिया है क्या यही कंपनी उस जगह की जनता को पैसे इस तरह से देगी एक नया पैसा इनकी जेब से नहीं निकलेगा यही वजह है कि मीडिया ने कांग्रेस का विज्ञापन छापने से इंकार कर दिया जिसमें चुनावी चंदे के बंड को वसूली बताया गया है मुख्य धारा का मीडिया भी इन्हीं कंपनियों के विज्ञापन से चलता है एक बार जब गठजोड़ आपको समझ में आ जाएगा तब आपको अपनी हालत भी नजर आएगी कि क्यों ऐसी हालत आपकी हो रखी है नमस्कार मैं रवीश कुमार

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