केजरीवाल गिरफ़्तार: ईडी पर भरोसा कौन करेगा? | Kejriwal’s Arrest: Part 2

नमस्कार मैं रविश कुमार अरविंद केजरीवाल के मामले में भी गिरफ्तारी जेल और बेल का खेल शुरू हो गया प्रोसेस इज पनिशमेंट प्रक्रिया ही सजा है वही खेल जिसकी जाल से आज तक उमर खालिद नहीं निकल सका आज सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई होनी थी केजरीवाल ने अपनी याचिका वापस ले ली जस्टिस एमएम सुंदरेशवारा स्पेशल बेंच के सामने यह मामला आया था केजरीवाल के वकील ईडी की कोर्ट के सामने अपनी याचिका पेश करेंगे हेमंत सोरण की गिरफ्तारी के समय भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था पहले हाई कोर्ट जाइए तो यह सब कारण रहा होगा कानूनी प्रक्रियाओं के मामले में आप हमारा दूसरा वीडियो जरूर देखिए क्या-क्या अपडेट होता है हम उसमें बताएंगे लेकिन इस वीडियो में ईडी और उसके छापों और उसकी राजनीति के बारे में बात करना चाहते हैं इन मामलों में अक्सर लोगों की राय पढ़ता रहता हूं कई लोग भगवान को याद कर लेते हैं वह इंसाफ कर देगा मगर लोकतंत्र में इंसाफ संस्थाएं करती हैं आप जनता की भागीदारी और चौकस निगाहों से होता है भगवान कुछ नहीं करते हैं रूस और चीन में भी भगवान होंगे मगर वहां एक बार लोकतंत्र गया तो गया हमेशा के लिए जब भरोसा हिलता है

 

 

Kejriwal Arrested: Who Will Trust the ED? | Kejriwal's Arrest Part 2

तो कब कौन सी ईंट कहां से खिसक जाएगी और इमारत धस जाए पता भी नहीं चलता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार से लड़ाई नहीं है भ्रष्टाचार के नाम पर विपक्ष को खत्म कर देने की कोशिश है अगर भ्रष्टाचार से लड़ाई होती तो आज चुनावी चंदे के बॉन्ड के मामले में छापे पड़ रहे होते उन कंपनियों की जांच हो रही होती बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ गिरफ्तार हो रहे होते उनसे पूछा जा रहा होता कि ईडी के छापे के बाद भी उन्होंने कई 100 करोड़ का चुनावी चंदे का बॉन्ड खरीदा इतना पैसा कहां से आया इसका पूरा हिस्सा या बड़ा हिस्सा बीजेपी को दिया क्या यह पैसा घूस के रूप में दिया गया बीजेपी के भीतर छापा पड़ रहा होता और मोदी सरकार के मंत्री गिरफ्तार हो रहे होते

 

क्योंकि इससे तो ईडी की बची खुची विश्वसनीयता भी समाप्त हो जाती है उसके छापे के बाद कोई कंपनी उसी पार्टी की सरकार को चंदा दे दे जिसके अफसरों ने छापे आरहे हैं तो कैसे नहीं संदेह होगा कि मुकदमे से बचने के लिए पैसा दिया होगा इसी लेनदेन के मजबूत आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी चंदे के कानून को खत्म कर दिया अवैध और असंवैधानिक बताया आगे बढ़ने से पहले हम यह उदाहरण आपके सामने रखना चाहते हैं ताकि उन लोगों को जवाब मिल सके जो यह कहते हुए नहीं थक रहे कि ईडी ने गिरफ्तार किया है तो न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिए हम हम इस वीडियो में बात करेंगे कि क्या आज की ईडी राजनीतिक मामलों में भरोसे के लायक है जहान वर रेड्डी की यह खबर देख लीजिए स्क्रोल न्यूज़ मिनट में छपी है अरविंदो फार्मा के मालिक पी शरद चंद रेड्डी इसी आपकारी नीति के मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं जिसमें केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है और मनीष सिसोदिया कई महीनों से जेल में हैं इस आदमी को जब ईडी ने गिरफ्तार किया तो उसके पांच दिनों के बाद 5 करोड़ का चुनावी चंदे का बॉन्ड खरीदा और बीजेपी को दिया इसी मामले में के कविता भी ईडी द्वारा गिरफ्तार कर ली गई हैं

 

कविता विधान पार्षद हैं तेलंगाना में और पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी हैं शरद चंद्र रेड्डी को 10 नवंबर 20222 को गिरफ्तार किया गया था उसके बाद इसकी कंपनी बीजेपी के लिए 5 करोड़ का बॉन्ड खरीदती है इसके अलावा सरकारी गवाह बन जाने के बाद रेड्डी ने बीजेपी को 25 करोड़ रुपए का चंदा दिया है इस कंपनी ने कुल करोड़ का बंड खरीदा जिसमें से 34. 5 करोड़ बीजेपी को गया कंपनी ने 15 करोड़ बीआरएस को भी दिया है इन पर आरोप है कि इन लोगों ने विजय नायर के जरिए आम आदमी पार्टी को कथित रूप से 100 करोड़ की रिश्वत दी और इसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में हुआ शरद चंद रेड्डी के अलावा दो अन्य सरकारी गवाह बन चुके हैं कहने का मतलब यह है एक आरोप तो अरविंद केजरीवाल जी की आम आदमी पार्टी पर है कि मनी ट्रेल नहीं है ईडी मनी ट्रेल नहीं दिखा पा रही कि पैसा आम आदमी पार्टी के पास आया मनी ट्रेल तो भारतीय जनता पार्टी तक पहुंच रहा है इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रेल है साबित है अगर ईडी कहती है अरविंदो फार्मा के शरत रेड्डी ने हवाला किया पीएमएलए किया मनी लरिंग किया तो उनका पैसा तो सीधा-सीधा भारतीय जनता पार्टी के पास 30 करोड़ रुपए आया प्रोसीड्स ऑफ क्राइम तो भारतीय जनता पार्टी के पास जा रहा है सबूतों के साथ जा रहा है

 

 

सुप्रीम कोर्ट के हवाले से आ गई यह बात और आरोपी अरविंद केजरीवाल को बनाया जा रहा है मनी ट्रेल भारतीय जनता पार्टी तक जा रही है मैं नहीं जानता कि कोर्ट आज इन चीजों को देख रहे हैं नहीं देख रहे हैं मगर जनता यह सब देख रही है यह चीजें सब पब्लिक डोमेन के अंदर है मैं भारत की जनता से हाथ जोड़कर निवेदन करूंगा और भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों को खास तौर पर निवेदन करूंगा जो कल से अरविंद केजरीवाल को गाली दे रहे हैं जो खुशियां मना रहे हैं लड्डू बांट रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के कुछ समर्थक की अरविंद केजरीवाल को जेल भेज दी आप जरा यह भी देख लीजिए कि यह पैसा तो भारतीय जनता पार्टी की तिजोरी में आया है आप यह नैतिकता का सवाल भारतीय जनता पार्टी से पूछ नहीं पाएंगे मुझे वालू है मगर आप यह सोचिए मन में कि खुशियां तो आप अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की मना रहे हैं और पैसा भारतीय जनता पार्टी को मिला है बहुत-बहुत धन्यवाद 2 साल से ईडी शराब के मामले में रिश्वत की जांच कर रही है

 

एक कंपनी उसके छापे के बाद 5 करोड़ का बॉन्ड खरीदकर बीजेपी को देती है सरकारी गवाह बनकर 25 करोड़ का चंदा देती है क्या ईडी को पता नहीं चला होगा जब उसे 100 करोड़ की लेनदेन का पता जाता है तो कंपनी बीजेपी को 44 करोड़ रुपए बॉन्ड के रूप में दे रही है क्या पता नहीं चला होगा अब इसी मामले में रिश्वत गया है या नहीं व्यापक प्रश्न बन जाता है लोग कह रहे हैं कि ईडी ने गिरफ्तार किया है कानून पर भरोसा करना चाहिए भरोसा करने के अलावा विकल्प क्या है क्या केजरीवाल कानून पर भरोसा नहीं कर रहे भरोसा तो किया ही जा रहा है सवाल है कि क्या ईडी भरोसा हासिल कर पा रही है उसके कितने ही ऐसे केस में कुछ भी नहीं निकल सिवाय इसके कि कुछ लोगों को खासकर विपक्ष के नेताओं को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा इसलिए अगर यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई होती तो इसी बात को लेकर ईडी बीजेपी के दफ्तर में छापे मार रही होती कि जिस कंपनी पर वह मनी लरिंग के तहत छापे मार रही है वह कंपनी बीजेपी को 34 करोड़ रुपए कैसे दे रही है कहीं कोई रिश्वत तो नहीं ले रहा है कोई भी तटस्थ जांच एजेंसी इस सवाल को क्या छोड़ सकती  थी

 

इसलिए अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भारत के लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है बड़ी बात है उनकी राजनीति से उनके पूर्व बयानों से असहमत होने वाले नेताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं लेखकों ने भी इस खतरे को सम और केजरीवाल की गिरफ्तारी की निंदा की है योगेंद्र यादव से लेकर प्रशांत भूषण तक ने इसकी निंदा की जबकि दोनों केजरीवाल से घोर मतभेद रखते हैं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टेलिन ने गिरफ्तारी की निंदा की है शरद पंवार ने निंदा की है और शिवसेना उद्धव की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से लेकर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गिरफ्तारी को लेकर कड़े बयान जारी किए हैं राहुल गांधी ने ने के खिलाफ केजरीवाल ने कितने हमले कि कांग्रेस की सरकार चली गई नरेंद्र मोदी देश की राजनीति में आ गए उनके लिए रास्ता बन गया तब जब केजरीवाल कांग्रेस के खिलाफ हमले कर रहे थे उस समय भारत का लोकतंत्र इस हाल में नहीं पहुंचा था जो आज है तब रामलीला में धरना दिया जा सकता था नए लोग मिलकर नई पार्टी बना सकते थे और पुरानी पार्टी को चुनौती दे सकते थे आज हालात अलग हैं

 

 

कांग्रेस ने इसे सही पहचाना कि यह सवाल पुराने हिसाब का नहीं है यह सवाल है भारत के लोकतंत्र के उस भविष्य का जिसके मैदान में विपक्ष की एंट्री कई तरीके से बंद कर दी जा रही है राजनीतिक दल एक दूसरे से लड़ते हैं विरोध करते हैं और कई बार हाथ भी मिलाते हैं लेकिन सरकार अपनी छापा मशीन का इस्तेमाल कर उनकी गर्दन मरोड़ दे जेब से पैसे निकाल ले बिना हाथ पांव और पैसे के चुनाव के मैदान में जाने के लिए छोड़ दे त कोई भी विरोध कोई भी बयान यहां तक कि उसका कोई भी अपराध इस खतरे से बड़ा नहीं रह जाता है संदीप दीक्षित अरविंद केजरीवाल के घोर आलोचक रहे हैं उनकी मां शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थी केजरीवाल ने उन्हें अपदस्थ किया उनकी राजनीतिक जमीन को कमजोर कर दिया दीक्षित की भी जमीन समाप्त हो गई फिर भी संदीप दीक्षित इस वक्त लोकतंत्र के खतरे को एक मुख्यमंत्री को इस तरह से गिरफ्तार किए जाने के सवाल को कहीं ज्यादा बड़ा मानते हैं दरअसल यही लोकतंत्र का मूल्य है पता चलता है

 

कि संदीप दीक्षित के भीतर लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर कितनी स्पष्ट समझ है संदीप दीक्षित व्यक्तिगत खुन्नस निकाल सकते थे कांग्रेस खुश भी हो सकती थी मगर सबने लोकतंत्र के सवाल को सर्वोपरि माना और गिरफ्तारी की निंदा की कांग्रेस ने कानूनी मदद देने और साथ मिलकर लड़ने का वादा किया है जबकि इन्हीं संदीप दीक्षित ने शराब घोटाले को लेकर प्रेस कान्फ्रेंस की है केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं कांग्रेस ने एक नहीं कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की है बीजेपी उन सभी के हिस्से को लेकर वायरल कर रही है और सवाल पूछ रही है जिस तरीके से और जिस समय केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है कांग्रेस जानती है कि यह घोटाले के लिए नहीं लोकतंत्र का गला घोटने के लिए किया गया है तो यह समझना जरूरी है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी उस दुस्साहस का प्रदर्शन है कि प्रधानम मंत्री नरेंद्र मोदी को किसी बात से फर्क नहीं पड़ता इससे भी नहीं पड़ता कि ईडी के छापे के बाद दूसरे दल के नेता बीजेपी में आ जाते हैं इससे ईडी की विश्वसनीयता खराब होती है और अंत में उन पर सवाल उठते हैं इसलिए उन्हें अपनी पार्टी में तो नहीं लेना चाहिए

 

 

प्रधानमंत्री मोदी को इससे भी फर्क नहीं पड़ता कि कई नेता तो ईडी का छापा पड़ेगा इसी के डर से बीजेपी में आ जाते हैं प्रधानमंत्री मोदी को इस बात से भी फर्क नहीं पड़ता है कि चुनावी चंदे के बंड के मामले में साफ दिख रहा है कि ईडी का छापा पड़ा है उसके बाद कंपनियां बीजेपी को चंदा दे रही हैं एक दो करोड़ नहीं 150000 नहीं कई स करोड़ रुपए का चंदा दे रही है जिस सीडी ने गिरफ्तार किया है वह निष्पक्ष है राजनीतिक नहीं है या वही कह सकता है जिसने कसम खा लिया है कि कुछ भी हो जाए हम गलत को गलत नहीं कहेंगे भले ही भारत का लोकतंत्र समाप्त हो जाए बीजेपी के कार्यकर्ता ऐसा कह सकते हैं क्योंकि वे अपनी पार्टी तो छोड़ेंगे नहीं मगर बीजेपी के लिए कहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता बुद्धिजीवी और पत्रकार चालाक लोग हैं वे इन कुतर्कों से बीजेपी में सेट होना चाहते हैं ताकि मलाई खा सकें बीजेपी के कार्यकर्ताओं को ऐसे लोगों से सतर्क रहना चाहिए कार्यकर्ता जानता है अगर राजनीति में पुलिस का इस्तेमाल बढ़ा जांच एजेंसियों का इस्तेमाल बढ़ा तो राजनीति खत्म हो जाएगी हो सकता है आज बीजेपी सुरक्षा है लंबे समय तक सुरक्षित रहे सत्ता में रहे लेकिन जब मैदान में कोई विरोधी नहीं होगा रूस जैसा भारत हो जाएगा

 

तब उन कार्यकर्ताओं को भी राजनीति में क्या मजा आएगा यह सवाल बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं से पूछा जाना चाहिए कि क्या वे ऐसे बियाबान में राजनीति करना चाहते हैं जहां केवल रेत ही रेत नजर आए कोई पेड़ नजर ना आए क्या वे ऐसे नेता के पीछे खड़े होना चाहते हैं कि पूरी राजनीति का जहाज खाई में ले जाकर गिरा दिया जाए और खुद को कुर्सी पर अजर अमर घोषित कर दिया जाए तब फिर उन्हें यह कहना छोड़ देना चाहिए बीजेपी के कार्यकर्ताओं को कि वे सत्ता के लिए राजनीति नहीं करते हैं आज उनकी सरकार के दौर में भारत में लोकतंत्र के खत्म हो जाने और तानाशाही के नए रूप की स्थापना की बात हो रही है कुछ नहीं तो वे तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवी की हरकतों को देख लें मंत्री को शपथ नहीं दिलाते अपने से मंत्री को बर्खास्त कर देते हैं कोर्ट फटका रहा है मगर कोई सुधार नहीं हो रहा बीजेपी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को यह समझना होगा कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई नहीं है कि आप यह कहकर निकल जाएं कि सब तो करते हैं तो हम अपनी पार्टी को क्यों गलत कहें या लोकतंत्र को मिटा देने की जिद है सनक है या कोई भी करे चाहे आपका सगा ही क्यों ना हो आपका अपना नेता क्यों ना हो या विरोधी दल का नेता क्यों ना हो आपको हमेशा हमेशा विरोध करना चाहिए

 

 

इस देश को तुम इतना भी बर्बाद मत करो कि अंकिल कहलाने के लायक ना रह जाओ याद रखना इस बात को मोदी सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कहा है कि कर्मों का फल मिला है कोरोना के समय इनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा होता तो यह मंत्रिमंडल से निकाले नहीं जाते तबाही के दौर में आपको स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का कौन सा कर्म यादगार लगता है क्या उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया जाना उनके किसी क कर्मों की सजा थी या अकर्म की सजा थी इन्होंने ट्वीट में लिखा है कि जिस फरेबी ने दिल्ली की जनता की भावनाओं के साथ गंदा खेल खेला आज उन्हें अपने कर्मों की सजा मिल रही है हम सभी को देश की न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है भ्रष्टाचारियों की जगह सिर्फ और सिर्फ जेल में है आपको याद होगा कोविड के समय यही हर्षवर्धन थे जो रामदेव की एक फर्जी दवा कोरोनिल के लॉन्च में चले गए जिसके खिलाफ इंडियन मेडिकल एसो ने केस कर दिया जिस दवा को भारत सरकार अपनी सूची में शामिल नहीं कर सकी उस दवा को लॉन्च करने गए थे यह उस हर्षवर्धन का कर्म था जो आज केजरीवाल को उनके कर्मों की याद दिला रहे हैं और जिस रामदेव की दवा के लॉन्च के लिए गए थे उस रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है हर्षवर्धन को देखना चाहिए न्याय पालिका पर इतना विश्वास है हर्षवर्धन को तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रामदेव के मामले में जो फैसला आया है स्वागत करना चाहिए कहना चाहिए कि रामदेव को नकली दावे नहीं करने चाहिए थे रामदेव विश्वास पात्र नहीं है उन्होंने लोगों को ठगा है

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सही पकड़ा है अब रामदेव ने बिना शर्त माफी मांगी है कहा है दोबारा ऐसा काम नहीं करेंगे सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को उन्हें हाजिर होने के लिए कहा था कोर्ट की अवमानना कर रहे थे अब जाकर माफी मांग रहे हैं डॉक्टर हर्षवर्धन केजरीवाल के सामने दिल्ली की जनता का विश्वास हासिल नहीं कर सके अब तो उनका टिकट भी कट गया है अरविंद केजरीवाल ने लोकतंत्र के मैदान में बीजेपी को तीन बार हराया है 2015 से 2024 आ गया केजरीवाल का विकल्प बीजेपी को नजर नहीं आता है लेकिन इसके लिए केजरीवाल ने किसी बीजेपी वाले के घर पर बुलडोजर नहीं चलवा किसी को जेल नहीं भिजवाया चुनाव के मैदान में लड़ा कई बार उनकी ही राजनी और उनके ही तरीके से लड़ने में समझौता करते हुए भी नजर आए मगर किसी की गर्दन पर हाथ रखकर राजनीति नहीं की इतना सा फर्क समझ जाएंगे तो दिख जाएगा कि जेल भेजकर बीजेपी क्या हासिल करना चाहती है दो साल से यह पार्टी और इसके नेता जांच एजेंसियों की निगाह में है बल्कि याद कीजिए तो जब से सरकार बनी है तब से कितने छापे बड़े कितने मामले दर्ज हो गए लेकिन विधानसभा में बीजेपी केजरीवाल को नहीं हरा सकी यह भी सच है नरेंद्र मोदी की लहर का हर दौर गुजर गया 10 साल गुजर गया मगर वे इसी दिल्ली की जनता का विश्वास हासिल नहीं कर पाए दिल्ली को जी-20 के पोस्टरों से भर दिया गया फिर भी वे केजरीवाल का राजनीतिक विकल्प नहीं खोज सके ना खुद बन पाए कोशिश रही है

 

दिल्ली सरकार के विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का लंबा मामला चला फर्जी मामले में न्यायपालिका का समय बर्बाद किया गया हर दिन गोदी मीडिया चलाता था अब इतने विधायकों की सदस्य ता समाप्त होने वाली है केजरीवाल की सरकार गिरने वाली है 2 साल पहले आतिशी सिंह ने बताया कि केजरीवाल के विधायकों के खिलाफ 150 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए 42 विधायकों को जेल भेजा गया बरी हुए इस तरह का हमला इस राजनीतिक पार्टी ने झेला है कोई ऐसा समय नहीं होता जब यह पार्टी केंद्रीय एजेंसियों से घिरी नहीं होती है मौजूदा शराब नीति का मामला 2022 से चल रहा है कायदे से जांच पूरी हो जानी चाहिए थी मगर अभी छापा और गिरफ्तारी का दौर ही चल रहा है आप याद कीजिए हरियाणा में दुष्यंत चौटाला आपकारी मंत्री थे कोविड के दौरान अवैध शराब की बिक्री को लेकर एसआईटी बिठाई गई तत्कालीन मुख्यमंत्री खट्टर कहते रहे कि कार्रवाई की जाएगी लेकिन हरियाणा में अवैध शराब की बिक्री का इतना बड़ा मामला आया क्या आपने कभी ईडी के जरिए किसी को गिरफ्तार होते देखा है या सुना है जिस तरह से आज अदालत के अंदर मामला विचाराधीन होने के बावजूद आनन फानन में रात के अंधेरे में देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एजेंसियों को भेज कर के देश की राजधानी के चुने हुए प्रचंड बहुमत के मुख्यमंत्री को सरेआम गिरफ्तार किया है वह आज देश के लिए कलंक है लोकतंत्र की आज सरेआम हत्या हुई है और देश के अंदर इस बात का ऐलान हुआ है

 

कि अब इस देश के अंदर भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार के खिलाफ अगर कोई बोलने की जरूरत करेगा तो उसे किसी भी कीमत पर बक्सा नहीं जाएगा उसे ग गफ्तार किया जाएगा अरविंद केजरीवाल पहले मुख्यमंत्री नहीं है जिन्हें पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया गया यह तकनीकी रूप से सही हो सकता है मगर झारखंड के हेमंत सोरेन को नहीं भूलना चाहिए सिर्फ इसलिए नहीं कि रांची दिल्ली से दूर है हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया फिर उनकी गिरफ्तारी हुई लेकिन इस बारीक तकनीकी अंतर का कोई मतलब नहीं इसी सोमवार को ईडी ने के कविता के मामले में रिमांड एप्लीकेशन जारी की उसमें केजरीवाल का नाम था 18 मार्च को पहली बार ईडी ने कहा कि केजरीवाल भी षड्यंत्र में शामिल है लेकिन लाइव लॉ से हमें एक और जानकारी मिलती है 22 मार्च को जब हाई कोर्ट में बहस हुई तब ईडी की ओर से एएस जीी एसवी रवि ने कहा हमने कब कहा है कि गिरफ्तार करेंगे हम पूछताछ के लिए बुला रहे हैं गिरफ्तार हो भी सकते हैं और नहीं भी अभी तो उनका नाम एफआईआर में भी नहीं है इसी आधार पर ईडी की तरफ से कहा जा रहा था कि याचिका नहीं सुनी जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में केजरीवाल का कोई लेना देना नहीं लोग स्टेंड आईने वह एफआईआर में नामजद नहीं है और वकील के इस बयान के कुछ घंटे के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया जाता है

 

जिस व्यक्ति का नाम एफआईआर तक में ना हो वह कुछ घंटे बाद अरेस्ट होता है 2 साल से चल रहे केस में और कहा जा रहा है न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा कीजिए ईडी ने गलत नहीं किया होगा कम से कम भ्रष्टाचार तो अभी साबित नहीं हुआ है तो कैसे उन्हें भ्रष्टाचारी कह दिया जा रहा है केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है ताकि वे चुनाव प्रचार में हिस्सा ना ले सके और उनकी गैर हाजिरी में आम आदमी पार्टी का ध्यान चुनाव से हट जाए कार्यकर्ता बिखर जाएं या केवल केजरीवाल समर्थक दलों के आरोप नहीं हैं लेकिन कई परिस्थितियां बताती हैं कि ईडी का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है अगर नहीं होता तो ईडी के छापे के बाद कोई बीजेपी में क्यों जाता और बीजेपी उसे अपनी पार्टी में क्यों लेती जल्दी से आप हिंदुस्तान टाइम्स की यह रिपोर्ट देख लीजिए एनसीपी के अजीत पंवार छगन भुजबल हसन मुशरफ और दिलीप वाल से पाटिल पर जांच चलाई गई यह सब एनसीपी से अलग होकर अब अजीत पंवार एनसीपी में हैं इनके अलावा धनंजय मुंडे पर भी जांच चली मुंडे फिलहाल राज्य में कृषि मंत्री हैं शिंदे गुट में शामिल हैं पहले भाजपा में थे शिवसेना में रविंद्र वायकर प्रताप सरनाईक अर्जुन खोटकर आनंदराव अत्सु भावना गवली यशवंत जाधव पर जांच हुई यह सब भी अलग हो गए और शिंदे गुट में शामिल हो गए

 

एनसीपी शरद पवार के नेता रोहित पवार जो अजीत पवार के गुट में शामिल नहीं हुए उन पर अभी भी कार्रवाई चल रही है 9 मार्च मार्च को ईडी ने उनकी 50 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली राजन सालवी उद्धव ठाकरे के विश्वास पात्र रहे हैं एंटी करप्शन ब्यूरो ने इनके खिलाफ इस साल कार्रवाई शुरू की पिछले डेढ़ साल में इन पर कई बार छापे पड़े सालवी ने कहा कि एसीबी ने इसलिए प्रताड़ित किया क्योंकि उन्होंने शिंदे गुट में शामिल होने से मना कर दिया संजय रावत भी 100 दिन जेल रह चुके हैं तो ईडी की कसम खाने वाले बीजेपी से इतना पूछ लें कि उसे ईडी की कार्यवाई में विश्वास है कि नहीं अगर विश्वास है तो जिस नेता के यहां ईडी ने छापे मारे हैं उसे अपनी पार्टी में क्यों ले लिया जाता है जिस कंपनी में ईडी ने छापे मारे उससे चंदा क्यों ले लेती है बीजेपी लॉटरी किंग की कंपनी से कई स करोड़ रुपए क्यों लिए एक दर्जन से ज्यादा ऐसी कंपनियां है जिनके यहां छापे पड़े हैं और उसके कुछ समय बाद उन्होंने चुनावी चंदे का बॉन्ड खरीदा पैसा बीजेपी को भी गया है ईडी का छापा पड़ता है तो कंपनी का पैसा गंगा जल और केजरीवाल के यहां छापा पड़ा हेमंत सोरेन के यहां छापा पड़ा तो उनकी जगह जेल में बीजेपी के इस तर्क से उसके अपने कार्यकर्ता और समर्थक भी सहमत नहीं हो सकते हैं

 

दीप्ति मं तिवारी की पुरानी रिपोर्ट थी कि 2014 से 22 के बीच जितने भी राजनीतिक व्यक्तियों पर ईडी द्वारा कार्रवाई की गई उनमें से 95 प्र विपक्ष से थे कुल 121 प्रमुख नेताओं पर ईडी ने किसी प्रकार की कारवाई की इनमें 115 विपक्ष के थे यूपीए से तुलना कीजिए तो 26 नेताओं के खिलाफ ईडी की कारवाई हुई और इनमें से 14 विपक्ष से थे यानी 54 प्र 2022 के बाद से विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई में इजाफा ही हुआ है मार्च 2023 में मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हुए अक्टूबर 2023 में संजय सिंह हेमंत सरेन जनवरी 2024 में गिरफ्तार हुए के कविता दिल्ली आपकारी नीति मामले में आरोपी हैं गिरफ्तार हो चुकी हैं 2014 के बाद मोदी राज में जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता को आप देखिए तो सही तो आपके सामने पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी तब आप नहीं कहेंगे कि ईडी जिसे चाहे उठाकर ले जाए मनगढ़ंत आरोप पत्र बना दे और 5 साल के लिए जेल में ठूंस दे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं इसी ईडी ने कर्नाटका के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के यहां छापे मारे मनी लरिंग का केस हुआ और एक महीना जेल में रहे सुप्रीम कोर्ट ने वह केस रद्द कर दिया है और डीके शिवकुमार को बरी किया है क्या इसके लिए ईडी के किसी अफसर को सजा मिली नहीं मिली

 

भारत के लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली बार हुआ है के एक सिटिंग चीफ मिनिस्टर को केंद्र सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया है यह भारत के लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार हुआ है कि लोकसभा की चुनाव की घोषणा के बाद एक नेशनल पार्टी के नेशनल कन्वीनर को गिरफ्तार किया गया है यह बिल्कुल साफ है कि अरविंद केजरीवाल जी की गिरफ्तारी भारतीय जनता पार्टी की एक राजनैतिक साजिश है ईडी का उपयोग करके एक विपक्षी दल के राष्ट्रीय नेता को गिरफ्तार करना एक ऐसे केस में जिसमें दो साल की इन्वेस्टिगेशन के बाद भी एक रुपए की भी रिकवरी ऑफ प्रोसीड्स ऑफ क्राइम नहीं हुई है एक ऐसे केस में गिरफ्तार करना जहां पर आज तक ईडी कोर्ट्स के सामने कोई भी सबूत नहीं रख पाई है सिर्फ और सिर्फ यह दिखाता है कि यह भारतीय जनता पार्टी का डर है मनी लरिंग खतरनाक होता जा रहा है इसके प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है एक बार कोर्ट ने सही करार दे दिया रिटायरमेंट से दो दिन पहले जस्टिस खानविलकर ने फैसला दिया था कि ईडी गिरफ्तारी से पहले एफआईआर की कॉपी नहीं दिखाएगी अनिवार्य नहीं है जिसे ईडी की शब्दावली में ईसीआईआर कहते हैं तत्कालीन जस्टिस रमना ने इस फैसले की समीक्षा के आदेश दे दिए जस्टिस खानविलकर को रिटायरमेंट के बाद लोकपाल बना दिया गया और अब लोकपाल ने तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ रिश्वत के बदले सवाल पूछने के मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर दिया है तो यह लिंक समझिए आज भरी अदालत में कपिल सिब्बल ने जो कह दिया वह याद रखिए सिब्बल ने कहा कि जब इस अदालत का इतिहास लिखा जाएगा यह दौर स्वर्ण काल नहीं कहलाएगा कितनी बड़ी बात सिब्बल ने अदालत के सामने कह दी जिन लोगों को लग रहा है कि हर कोई इस दौर में चुप है वह गलत हैं कपिल सिब्बल जैसे लोग जोखिम उठा रहे हैं भरी अदालत में उस सच को बयान कर रहे हैं

 

जो सबको दिख रहा है सिब्बल बीआरएस की नेता के कविता की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया है कपिल सिब्बल उनके वकील हैं बेंच ने जब माले को ट्रायल कोर्ट में भेज दिया तब सिब्बल ने यह टिप्पणी कर दी जिस तरह जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी दलों के खिलाफ हो रहा है एक ही रास्ता है कि चुनाव आयोग इसे चुनाव तक के लिए कम से कम रोक दे 2 साल से इस एजेंसी से शराब के मामले में जांच पूरी नहीं हुई क्या अनंत काल तक के लिए नेता जेल में रहेंगे मनीष सिसोदिया को कितने समय से जेल में बंद रखा गया है क्या वही हाल केजरीवाल का भी किया जाने वाला है लगता तो ऐसा ही है इसी 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ईडी को फटकार लगाई कहा कि बार-बार पूरक चार्जशीट दायर कर जमानत को रोकने की यह कोशिश अच्छी नहीं है ईडी अनिश्चित काल तक के लिए जांच करती रहती है और बिना सुनवाई के ही आरोपी को जेल में रखने की परिपाटी अपनाई जा रही है इस पर तो आप ध्यान दें यह कोर्ट ने कहा है उसी ईडी के बारे में जिसकी गिरफ्तारी पर लेक्चर दिया जा रहा है कि ईडी एक निष्पक्ष संस्था है है उस पर भरोसा रखना चाहिए इसलिए केजरीवाल की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार की लड़ाई नहीं है यह लड़ाई है ही नहीं इसके पीछे आप कानून और उसके तहत किया जाने वाला अपराध मत देखिए बल्कि अपराध के नाम पर लोकतंत्र का गला घोटने का अपराध देखिए दिख जाएगा नमस्कार मैं रवीश कुमार

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