मोदी की गारंटी: विज्ञापन कैपिटल दिल्ली | Modi’s Guarantee on Advertisements

नमस्कार मैं रवीश कुमार दिल्ली शहर में एक नई गारंटी लागू हो गई है मोदी की गारंटी के विज्ञापन दिख जाने की गारंटी आप इसकी शिकायत कर ही नहीं सकते कि हम फलां फलां सड़क से गुजर रहे थे मोदी की गारंटी की एक भी होर्डिंग नहीं दिखी हम बोर हो गए सफर में मजा नहीं आया मगर इस वीडियो में हम एक ऐसे खेल से पर्दा उठाने जा रहे हैं जो आपकी आंखों पर पड़ा हुआ है इसलिए कहता हूं हमारा वीडि आधा अधूरा नहीं पूरा देखा कीजिए क्या दिल्ली वालों को पता चला कि उन्हें एक नई गारंटी दी गई है उन्हें हवा साफ ना दिखे आसमान ना दिखे जमीन ना दिखे मगर जब भी देखेंगे जिधर भी देखेंगे ऐसा

 

Modi's Guarantee: Advertisement Capital Delhi

(00:47) पोस्टर जरूर दिखेगा जिसमें मोदी जी दिखेंगे दिल्ली का चप्पा चप्पा गारंटी की होल्डिंग से भर गया है आप नहीं देखना चाहे तब भी मोदी की गारंटी दिख जाने की गारंटी दे गई है दिल्ली शहर ने अपने इतिहास में क्या-क्या नहीं देखा मगर इतना विज्ञापन पहली बार देख रहा है इन दिनों गारंटी वाले पोस्टरों ने दिल्ली के चप्पे-चप्पे पर धावा बोल दिया है मजे की बात यह है कि विज्ञापन तो आप हर जगह देख रहे हैं मगर पैसा कितना खर्चा हुआ इसकी खबर कहीं नहीं देख रहे होगी तभी छपे गी और छपे गी तभी तो दिखेगी पैसा बहा दिया गया है बीजेपी की तरफ से भी और केंद्र सरकार की तरफ से भी

(01:31) क्या आपने वह खबर देखी कि बीजेपी ने facebooksignup.in वीडियो हैं फरवरी और मई 2019 के बीच 4 महीनों में बीजेपी ने 12.3 करोड़ खर्च किए लेकिन 29 जनवरी से 28 फरवरी के बीच 30 करोड़ खर्च कर दिए इस दौरान कांग्रेस ने कोई विज्ञापन नहीं दिया कांग्रेस आज विज्ञापन देने अपनी गारंटी को लोगों तक पहुंचाने की हालत में नहीं रही दूसरी तरफ केवल और केवल मोदी और उनकी गारंटी के विज्ञापन ही नजर आ रहे हैं उन्हीं का दावा है उन्हीं का वादा है न्यूज़ मिनट ने लिखा है कि बीजेपी ने ज्यादातर विज्ञापन उत्तर भारत के इलाकों में दिए हैं दक्षिण में विज्ञापन पर उसने

(02:36) कम पैसा लगाया है बिजनेस लाइन में पार्वती बण की रिपोर्ट है कि फरवरी 2019 से फरवरी 2023 के बीच बीजेपी ने आप आजकल कुछ दिनों से अगर किसी भी साइट पर चले जाइए इंटरनेट की कोई भी चीज देखिए वहां पर दांत चियार हुए हंसते मुस्कुराते आत्ममुग्ध हमारे देश के प्रधानमंत्री हर पोर्टल पर हर साइट पर हर वेबसाइट पर नजर आते थे क्योंकि बीजेपी खूब धड़ाधड़ पैसा इतना है इलेक्टोरल बंड से छुपाया जा रहा है पानी की तरह बह रहा था वो पैसा 50 पर google3 से ज्यादा उल्लंघन होता है तो अकाउंट सस्पेंड कर दिया जाता लगातार उल्लंघन हुआ है हम जानना चाहते हैं

(03:33) कि उल्लंघन क्या था हम जानना चाहते हैं उस ऐड में क्या गलत था वह सब हटा दिया गया है तो मेरा अपना मानना है कि जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स है मेरा अपना मानना है जो डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स है को बैंक अकाउंट को फ्रीज किया जाता है सोशल मीडिया अकाउंट्स को बैन करने की कोशिशें की जाती हैं तमाम वॉलेट्स और बड़े लोग जो बोलते हैं उस पर जी का विज्ञापन सोशल मीडिया पर जाइए तो बीजेपी का विज्ञापन टीवी खोलिए तो बीजेपी का विज्ञापन अखबार खोलिए तो केंद्र सरकार

(04:38) और मोदी जी का विज्ञापन हर दूसरे पन्ने पर आपको नजर आएगा दिल्ली में घूमने निकलिए तो चारों तरफ मोदी जी का विज्ञापन नजर आएगा बल्कि कौन सा बीजेपी का है और कौन सा सरकारी है दोनों में फर्क नजर नहीं आएगा कंटेंट से लेकर स्लोगन भी कई बार सेम टू सेम नजर आते हैं राजनीतिक दल के लिए यह राशि मामूली नहीं है खासकर वह पार्टी 30-30 करोड़ रुपए का विज्ञापन दे रही है जिसके सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी और अमित शाह पार्टी को मात्र 22000 का चंदा दे पा रहे हैं 2000 अगर इतनी बड़ी राशि है तो फिर 30 करोड़ की राशि कितनी बड़ी होगी सोच लीजिए खासकर जिस देश में औसत किसान

(05:20) परिवार महीने में 10000 से भी कम कमाता है उस देश में उसका वोट लेने के लिए एक राजनीतिक पार्टी विज्ञापन पर करोड़ों रुपए पानी की तरफ बहा रही है दिल्ली आज भारत की विज्ञापन राजधानी हो गई है इसका सत्यापन आप दिल्ली में कहीं भी घूमकर कर सकते हैं मेट्रो ट्रेन का बाहरी हिस्सा मोदी की गारंटी के पोस्टरों से भरा पड़ा है ऐसी कितनी ट्रेनों के बाहरी हिस्से को इन पोस्टरों से पाट दिया गया है इन पर कितना पैसा खर्चा हुआ है फिलहाल इसकी कोई समग्र जानकारी नहीं है ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं तो सामने पोस्टर ट्रेन आग गई तो बाहर पोस्टर और ट्रेन के भीतर चले गए तो मोदी

(06:03) की गारंटी का पोस्टर यह तो केवल दिल्ली मेट्रो का हाल है यह सब मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया जाता है लेकिन क्या मतदाता को पता है कि इतना सब करने में कितना पैसा खर्चा हुआ मेट्रो में विज्ञापन का रेट कितना है मेट्रो रेल के बाहर भीतर और स्टेशन पर जो इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड लगे हैं होर्डिंग लगी है पोस्टर लगे हैं उनकी संख्या कितनी है इसकी कोई जानकारी नहीं आपको केवल दिखाए जा रहा है मोदी सरकार की उपलब्धियां और उनकी गारंटी बाकी कुछ जानकारी आपके पास है नहीं ऐसा ही देश भर के अनेक मेट्रो स्टेशनों मेट्रो रेल में हुआ होगा रेलवे स्टेशन में हुआ

(06:42) होगा यही नहीं मेट्रो के भीतर जाइए आपको मोदी की गारंटी के पोस्टर केंद्र सरकार की योजनाओं के तमाम पोस्टर दिखेंगे आप खड़े हैं तब भी मोदी सरकार का कोई ना कोई पोस्टर दिखेगा दाएं देखेंगे तो दिखेगा बाएं देखेंगे तो दिखेगा तमाम मेट्रो स्टेशन का भी वही हाल है किसी भी गेट से जाइए किसी भी गेट से आइए आपको मोदी जी का पोस्टर दिखेगा इसकी गारंटी है बीच-बीच में दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार का भी दिख सकता है मगर केंद्र सरकार और बीजेपी शासित सरकारों के पोस्टर होल्डिंग का जवाब नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तस्वीरों वाली

(07:20) होल्डिंग भी दिल्ली वालों को हर तरफ बीजेपी और बीजेपी सरकार दिखने की गारंटी दे रही है इनमें सरकार के किसी और मंत्री का फोटो नहीं होता है केवल प्रधानमंत्री का होता है या फिर राज्य के मुख्यमंत्री का हर तरफ इन्हीं की गारंटी है राहुल गांधी ने जो गारंटी दी है उसकी गूंज कहीं नहीं और ना इस तरह का विज्ञापन है हिंदुस्तान की हर गरीब महिला को चाहे वह मजदूरी करे खेती करे छोटा जॉब करें हर गरीब महिला को सीधे बैंक अकाउंट में हिंदुस्तान की सरकार साल के एक लाख रुपए  देगी कल मैं एक आदिवासी महिला के घर के सामने रुका बातचीत की उनका

(08:23) बेटा पुलिस में भर्ती होने की कोशिश कर रहा है उसका पेपर लीक होगा पेपर के दिन उसको पता लगेगा कि किसी अमीर बच्चे ने पेपर खरीद लिया और उसकी मेहनत बेकार गई उसकी मां महीने के 00 कमाती है 000 का बिजली का बिल था पानी का बिल है पांच छह घर में वह कपड़े धोने का काम करती है यूपी हमारी सरकार आएगी इंडिया की सरकार आएगी उसी महिला की आमदनी दुगनी हो जाएगी एक लाख रुपए उसके बैंक अकाउंट में हर साल

(09:28) ऑटोमेटिक डायरेक्ट उसके बैंक अकाउंट में जाएगा और वैसे ही हिंदुस्तान में करोड़ों महिलाओं के साथ करोड़ों महिलाओं के बैंक अकाउंट में साल का ₹ लाख रप आएगा क्रांतिकारी कदम है यह मगर हर जगह मोदी की पांच गारंटी और उनकी सरकार की योजनाओं के पोस्टर होर्डिंग आपको दिल्ली में दिखेंगे राहुल गांधी की गारंटी की खबर बहुत मामूली रूप में छपक खत्म हो गई किसी को पता तक नहीं दिल्ली में आपको लगेगा ही नहीं कि भारत में मोदी के अलावा कोई दूसरी पार्टी है कोई दूसरा नेता है उनके ही मंत्रियों की तस्वीर इन पोस्टरों में शायद ही कभी नजर आती है इतना विज्ञापन जब आप पर

(10:15) धावा बोल रहा होता है तब नेता आपसे कोसों दूर होकर भी एकदम निकट दिखाई देता है वहम हो जाता है कि मोदी जी तो बिल्कुल पास में है हर जगह हैं इकोनॉमिक टाइम्स की खबर है पिछले फरवरी महीने की कि 13 विज्ञापन एजेंसियां बीजेपी के आगे लाइन लगाए खड़ी हैं कि उन्हें बिजनेस मिल जाए अखबार ने लिखा है कि सभी एजेंसियों को 20 मिनट का समय दिया गया जिसमें उन्हें बताना होता था कि पार्टी का विज्ञापन वह कैसे करेंगी आप दिल्ली के किसी भी बस स्टॉप पर जाइए ऐसा हो ही नहीं सकता है कि मोदी सरकार की गारंटी या उनकी योजनाओं का कोई पोस्टर या इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड आपको ना दिखे आधिकारिक

(10:56) संख्या तो नहीं है मगर अनुमान है कि दिल्ली में ऐसे 2000 बस स्टॉप तो होंगे ही जिन पर विज्ञापन के बोर्ड लगाए जाने की सुविधा होगी इनका रेट लोकेशन के हिसाब से भी अलग होगा अपुष्ट जानकारी के मुताबिक अच्छे लोकेशन पर होल्डिंग लगाने के लिए एक महीने का किराया 50000 से लेकर 70 हज तक का भी हो सकता है तो कहीं पर 10 से 000 प्रति माह का भी इसके अलावा विज्ञापन बनाने और लगाने के लिए भी एजेंसियों का अपना खर्चा लगता है आप दिल्ली में यूं ही घूमा आए पता चलेगा कि ज्यादातर बस स्टैंड पर मोदी की तस्वीरों वाले विज्ञापन लगा दिए गए हैं केंद्र सरकार के तरह-तरह के

(11:37) दावे करते हुए इन पोस्टरों को देखकर लगता है कि दिल्ली का नाम फिलहाल गारंटी रख देनी चाहिए शायद ही आपको कोई बस स्टॉप ऐसा दिखेगा जिसकी सीट के पीछे और छत के ऊपर मोदी जी का चेहरा नहीं दिखेगा इसी शहर से कितने अखबार निकलते हैं कितने पत्रकार रोज इन डिंग को देखते हुए आ रहे हैं जा रहे हैं मगर इसे लेकर कोई रिपोर्टिंग नहीं जबकि चुनाव विज्ञापन के जरिए लड़ा जा रहा है कोई सूचना इसके बारे में नहीं है क्या किसी को नहीं लग रहा कि यह अप्रत्याशित है कुछ महीने पहले जी-20 के समय भी दिल्ली को मोदी जी के पोस्टर से भर दिया गया तब न्यूज़ लांड्री ने एक रिपोर्ट की हवाई

(12:18) अड्डे से लेकर और उस होटल तक जहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइड ठहरे थे उसके बीच 960 से अधिक विज्ञापन नजर आए इनमें से 236 में प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा था 12 किलोमीटर के दायरे में 236 विज्ञापन दिल्ली नगर निगम ने पुरातात्विक महत्व की इमारतों पर बड़े आकार के 450 पोस्टर लगाए थे तब कितना खर्चा हुआ अब कितना खर्च हो रहा है किसी को कुछ नहीं मालूम दिल्ली का हाल यह है कि यहां आदमी से ज्यादा पोस्टर दिखाई देने लगे हैं और पोस्टर में केवल मोदी दिखाई देने लगे हैं मोदी की गारंटी बीजेपी का भी नारा है और केंद्र सरकार का भी जिस नारे को बीजेपी चुनाव में बुनाए गी

(13:02) उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए गारंटी वाली होर्डिंग लगाकर दिल्ली सहित ना जाने कितने शहरों में कितने पैसे खर्च कर दिए गए पहले केंद्र सरकार उस स्लोगन को पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है और फिर बीजेपी करेगी देश भर में ऐसी होर्डिंग की संख्या सैकड़ों में होगी या हजारों में या लाखों में आप कभी नहीं जान पाएंगे जबकि आपका ही पैसा है जो सरकार इस तरह से विज्ञापन पर पैसा बहा रही है और आपको ही नहीं पता कितना बहा रही है 4434 करोड़ 5000 करोड़ 6491 करोड़ 2300 करोड़ 3000 करोड़ यह वह पैसा है राशि है जिसे अलग-अलग साल में

(13:44) मोदी सरकार ने विज्ञापनों पर खर्च किए हैं जिसे अखबारों ने संसद में दिए गए जवाब तो कभी आरटीआई से मिले जवाब के आधार पर छापा है किसी रिपोर्ट में 1 साल का हिसाब है तो किसी में तीन या चार साल का मगर 2014 से लेकर 2000 24 तक कुल कितना पैसा खर्च हुआ इसकी संख्या नहीं है इसलिए आप नहीं जानते हैं कि यह जो नंबर है वह 5000 करोड़ ही है या 10000 करोड़ या उससे भी ज्यादा है नेशनल हेराल्ड कांग्रेस से चुड़ा एक पेपर है इसमें अक्टूबर 2018 में एक खबर छपी कि यूपीए ने 10 साल में जितना पैसा विज्ञापन पर खर्च किया 4 साल में उसका डबल खर्चा

(14:23) मोदी सरकार ने कर दिया मई 2018 की इस खबर को देखिए पीटीआई ने छापी है मोदी सरकार ने 4 साल में प्रचार पर 4343 करोड़ का खर्चा किया आईबी मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन ने यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से दी थी जुलाई 2022 की स्क्रोल की इस खबर को देखिए भाजपा की सरकार ने 2019 से 2022 के बीच विज्ञापनों पर 900 करोड़ खर्च किए यह पैसा प्रिंट टीवी इंटरनेट पर लगाया गया या जानकारी सरकार ने खुद संसद में दी दिसंबर 2022 की खबर है संसद में आईबी मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने 2014 से 2022 के बीच प्रिंट और

(15:05) इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर 6491 करोड़ खर्च किए इनमें 3260 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर खर्च हुए और ₹ 230 करोड़ प्रिंट पर यानी अखबारों पर बसंत कुमार ने मई 2023 में न्यूज़ लांड्री के लिए रिपोर्ट किया कि नौ वर्षों में मोदी सरकार ने अखबारों और अन्य प्रिंट आउटलेट्स में विज्ञापन पर 00 करोड़ खर्च किए मतलब सरकार ने हर रोज ₹1 लाख विज्ञापन पर खर्च किए इनमें से 1300 करोड़ सिर्फ 10 मीडिया संस्थाओं को दिया गया सर्वाधिक विज्ञापन टाइम्स ऑफ इंडिया को मिले 9 साल में 359 करोड़ हिंदी मीडिया में दैनिक जागरण को सबसे अधिक 176 करोड़ के विज्ञापन मिले
(15:52) जुलाई 2023 की खबर है सरकार ने 2018 से लेकर तब तक यानी 5 साल में विज्ञापनों पर 3000 करोड़ र लगाए सबसे अधिक प्रिंट मीडिया पर 1338 करोड़ का खर्चा हुआ यह तब है जब विज्ञापनों पर कुल खर्च में कमी आई 2018-19 के दौरान 1179 करोड़ के विज्ञापन जारी हुए 20222 में यह खर्चा कम होकर 408 करोड़ पर आ गया मगर हिंदू बिजनेस लाइन ने जुलाई 2023 में रिपोर्ट छापी है कि वित्त वर्ष 2023 में कई सालों बाद सरकारी विज्ञापनों पर किए गए खर्च में बढ़ोतरी देखी गई वित्त वर्ष 2023 में सरकार ने विज्ञापनों पर 375 करोड़ खर्च किए जो कि पिछले तीन वित्त वर्षों के मुकाबले
(16:35) सर्वाधिक था अभी भी किसी के पास कुल राशि का हिसाब नहीं है जो 10 साल में विज्ञापनों पर खर्च हुई है केवल विज्ञापन नहीं होता है इवेंट भी होता है इन इवेंट को विज्ञापनों का ही विस्तार माना जाना चाहिए कई बार नए-नए तरह के कॉस्क बनते हैं इसका भी खर्चा माना जाना चाहिए और इन इवेंट में लोगों को लाया जाता है उसका भी खर्चा जोड़ा जा सकता है इसलिए 10 साल में कितना पैसा बहाया गया इसे आप अभी भी नहीं जानते हैं यह मत भूलिए कि बीजेपी को इलेक्टोरल बंड से 6500 करोड़ से अधिक का चंदा मिला है पार्टी के पास अपना पैसा भी बहुत है मगर सरकारी विज्ञापन आचार संहिता
(17:18) के लागू होने से पहले बीजेपी का जबरदस्त काम कर देते हैं अब बीजेपी के विज्ञापन ही चारों तरफ आपको नजर आएंगे खबरों से भी विपक्ष गायब विज्ञापन से भी विपक्ष पक्ष ना दारद भारत का लोकतंत्र पैसे के दम पर एक तरफा हो चुका है अखबार पलट कर देखिए बीजेपी सरकारों के विज्ञापन भरे नजर आएंगे केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों के विज्ञापन राज्यों के अलग-अलग विभागों के विज्ञापन हर दिन किसी ना किसी योजना का विज्ञापन आता है चाहे पूरा पन्ना या आधा पन्ना लिहाजा इन अखबारों में इन योजनाओं की पोल खोलने वाली रिपोर्ट आपको नजर नहीं आएगी आपको इन अखबारों में प्रधानमंत्री
(17:57) आवास योजना का विज्ञापन दिखेगा मगर जिस नागरिक को इसके तहत घर मिला है उस घर की तस्वीर नहीं दिखेगी वह घर कैसा दिखता है कैसे बना है ऐसी तस्वीर शायद ही किसी खबर का हिस्सा हो यही नहीं गरीब कल्याण योजना के विज्ञापन से अखबार भरे पड़े हैं मगर अनाज लेने वाला किस लाइन में खड़ा है कौन है उसका झोला फट गया है या भरा हुआ है इसकी कोई तस्वीर आपको खबरों में नजर नहीं आती है विज्ञापन ही खबर है और खबर तो अब विज्ञापन हो ही चुका है कहा जाता है कि अखबारों में मोदी सरकार ने विज्ञापनों में कमी कर दी वैसे नजर तो नहीं आती लेकिन इतना जरूर है कि सोशल मीडिया पर सरकार ने
(18:37) विज्ञापनों के ढेर लगा दिए हैं मई 2023 में आयुष तिवारी ने मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट के लिए एक रिपोर्ट फाइल की आयुष ने लिखा कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में लेगासी मीडिया यानी पारंपरिक मीडिया संस्थानों में काफी विज्ञापन दिए लेकिन 2017 के बाद से इसमें कमी आई है किसी साल 40 प्र तो किसी साल 23 प्र की कटौती की गई है विज्ञापन केवल अखबार सोशल मीडिया फिल्म रेडियो में नहीं है बल्कि उस झोले पर भी है जिसमें आपको फ्री अनाज मिलता है द हिंदू में 17 फरवरी 2024 को मैत्री पोरीचा की खबर छपी है इसमें लिखा है कि चुनाव से
(19:17) पहले फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया राशन के थैलों पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें लगाकर वितरण करने जा रही है रिपोर्ट में बताया गया है कि एफसीआई ने अपने 26 क्षेत्रीय कार्य लयों को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे बैग की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर दिए जाएं जिन पर मोदी की तस्वीर लगी होगी इन थैलों को गरीब कल्याण अनन योजना के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जिसमें 81 करोड़ से अधिक लोगों को राशन दिया जाएगा रिपोर्ट में लिखा है कि अकेले राजस्थान में 13 करोड़ से अधिक के थैलों के ऑर्डर किए गए हैं एक राज्य में 13 करोड़ का झोला बन रहा है इसी तरह अनेक चुनावों में अनेक
(19:55) राज्यों में झोले पर ही कितना करोड़ खर्च हो गया होगा इसका कोई हिसाब नहीं आप केवल मोदी जी का चेहरा देखते हैं और उस चेहरे को बनाने के पीछे कितना पैसा लगा है आपको नजर नहीं आता बल्कि राज्य सरकारों को बाध्य किया जाता है कि योजना के नाम के आगे पीएम का नाम लगे और फोटो में पीएम की तस्वीर ममता सरकार ने कई योजनाओं के संदर्भ में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार पैसे नहीं दे रही है पीएम आवास योजना के लिए 7000 करोड़ नहीं दे रही है क्योंकि ममता सरकार ने राशन की दुकानों पर पीएम के फोटो और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लोगों की फोटो नहीं लगाई है इस पैसे से
(20:34) केंद्र की स्कीमों के लिए बंगाल से चावल की खरीदी की जानी थी आप सोच नहीं सकते और ना हम उन सभी मंचों और माध्यमों की गिनती कर सकते हैं जहां भारत माता की जय के साथ मोदी मोदी हो रहा [प्रशंसा] है की की [प्रशंसा] 45 इन्हें पुरस्कार के लिए बुलाया गया है और यह नारा लगा रहे हैं अबकी बार 400 पार का क्या कोई फर्क कर सकता है कि यह बीजेपी के कार्यकर्ता हैं या स्वतंत्र क्रिएटर youtube2 क्रिएटर को दिल्ली के भारत मंडपम
(21:41) में बुलाया गया इस संदर्भ में आप कुछ महीने पहले न्यूज़ लांड्री के लिए तनिष्का सोढ़ी की जुलाई 2023 की विस्तृत रिपोर्ट देखिए इसमें बताया गया था कि भाजपा सोशल मीडिया के माध्यम से 18 राज्यों में प्रचार कर रही है इसके लिए खास तौर पर हजारों की तादाद में य र इनफ्लुएंसर से संपर्क किया गया इसके लिए खुद वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कई इन्फ्लुएंस ों से मुलाकात की और उन्हें इंटरव्यू दिए तस्वीरें खिंचवाई जो अलग-अलग क्रिएटर के हैंडल से वायरल हुई सरकार के कुछ अन्य मंत्रियों ने भी पिछले कुछ महीनों में youtube0 की रिपोर्ट में कुछ इन्फ्लुएंस
(22:20) के बयान भी छपे हैं जिन्होंने कहा कि वह सरकार का विज्ञापन नहीं कर रहे हैं लोगों तक स्कीम की जानकारी पहुंचा रहे हैं क्या यह यह लोग विपक्ष के मुद्दों की जानकारी लोगों तक पहुंचा सकते हैं क्या इन्हें पहुंचाने दिया जाएगा क्या केंद्र सरकार की स्कीम को लोगों तक पहुंचाने का काम इनका है केंद्र सरकार अपनी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए खुद ही अरबों रुपए खर्च कर रही है तब फिर यह क्रिएटर अपनी तरफ से केंद्र की योजनाओं को लोगों तक क्यों पहुंचा रहे हैं अगर पहुंचा रहे हैं तो क्या यह विपक्ष के राज्यों की योजनाओं को भी पहुंचाएंगे क्रिएटर अवार्ड कार्यक्रम
(22:57) के बाद भी कुछ यूट्यूब ने अपनी सफाई पेश की है कि वे भाजपा के समर्थक नहीं हैं यह अनुभव क्रिएटर की हौसला अफजाई के लिए था प्रधानमंत्री को भी पता है कि सम्मेलन को लेकर क्या-क्या बातें होंगी लिहाजा वे भी इसका संकेत देने लगे या सफाई भी कि लोग क्या कहेंगे लेकिन क्या वाकई लोगों को नहीं दिख रहा है कि उन्हें क्या-क्या कहना चाहिए तो आज भी कुछ फिटनेस का मंत्र देंगे लोगों को योगा करनी चाहिए मेडिटेशन करनी चाहिए तो फिर तो ये लोग कहेंगे कि मोदी जी की बात बता रहा है तो फिर कहेंगे तुम बीजेपी वाले हो गए हो मोदी जी शायद यूथ की बातें कर रहे हैं
(23:42) तो पूरा यूथ मेडिटेशन कर रहा है अब बस वही बात फिर से कह रहा हूं मैं मैं समय से पहले समय को भाप सकता हूं और इसलिए यह पहला ऐसा अवार्ड है जो शायद आने वाले दिनों में बहुत प्रमुख स्थान लेने वाला है साथियों अगले कुछ दिनों में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं आप यह मत सोचिए कि आज का यह इवेंट इसके लिए है जो आपके मन में सवाल है उसकी जानकारी प्रधानमंत्री को है मगर उन्हें पता है कि मीडिया अब इसकी क्या ही रिपोर्ट करेगा जब बातें ही नहीं होंगी तो लोगों को क्या पता चलेगा बाकी आप हमारा वीडियो दोस्तों और
(24:46) दफ्तरों के whatsapp2 को किस शक्ल में पैसे दिए जा रहे हैं दिए जा रहे हैं या नहीं अगर दिए जा रहे हैं तो कितने दिए जा रहे हैं इन्हें प्रचार में किस तरह से लगाया गया है यह विज्ञापन ठीक से देख लीजिए विज्ञापन केंद्र सरकार का है लेकिन चेहरा है youtube2 मों का प्रचार कर रहे हैं गजब का का तालमेल है दोनों के बीच में द वायर में श्रावस्ती दासगुप्ता की रिपोर्ट आप पूरा पढ़िए जून 2023 में छपी है इसमें पीटीआई की एक खबर का जिक्र है कि वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने youtube0 टॉप क्रिएटर से बात की बेशक बहाना जागरूकता का ही होता है
(25:45) इसमें एक विवेक बिंद्रा का भी नाम है जिसके कथित फ्रॉड की आजकल काफी चर्चा हो रही है कि उसने कई लोगों को ठग लिया है यही नहीं इस बातचीत में शामिल कुछ क्रिएटर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में क्रिएटर अवार्ड दिया है आपने भारत मंडपम में जो देखा उस पर 1 साल पहले से काम शुरू हो गया था इनके जरिए सरकार अपनी छवि मुलायम कर रही है जैसे वह तो घर में ही रहती है और आप सबकी बातें सुनती है मानती है यह खेल है छवि का मीडिया आपको अंधेरे में रख रहा है प्रधानमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर रहे हैं लेकिन क्रिएटर से घुलमिल रहे हैं पत्रकार का विकल्प
(26:21) क्रिएटर आ गया 2019 में इसी तरह आम खाने और खिलाने की बात करने वाला एक्टर आया था इस 5 साल में मोदी सरकार एक्टर से क्रिएटर पर आ गई आप अंधेरे में रखे जा रहे हैं देखने के नाम पर केवल विज्ञापन दिखाया जा रहा है कई कंपनियों के विज्ञापन में भी मोदी की तस्वीरें होती हैं उनके स्लोगन के कुछ अंश होते हैं या इस तरह से लिखे जाते हैं जो उनकी राजनीति से मैच करते हैं इस तरह आपको दिख जाएगा कि हर तरफ मोदी मोदी ही हैं किसान नहीं दिखेंगे दिल्ली तक नहीं आए तो मीडिया ने कहा ट्रैक्टर से क्यों आ रहे हैं बिना ट्रैक्टर के आ गए कितने चैनलों पर किसानों की शांतिपूर्ण रैली का
(26:58) कवरेज हुआ जब इन किसानों को दिल्ली की सीमा के बाहर रोका जाता है तो इनके बारे में किस तरह के भूत खड़े किए जाते हैं कि यह दिल्ली में घुस जाएंगे डेरा जमा देंगे कब्जा कर लेंगे क्या ऐसा कुछ भी हुआ बात यह नहीं है बात है कि किसान कुछ भी कर लें या ना करें सरकार से मांग करेंगे तो खबरों से गायब कर दिए जाएंगे एक तरफ सरकार के वीडियो डिलीट करवा देती है चैनल बंद करवा देती है और twittersignin.
(28:01) com तो मैं भाइयों से बताना चाहता हूं कंज्यूमर भाइयों से कि ये पा का है पैकेट और यह आलू का चिप्स बना हुआ है 10 ग्राम मुश्किल से इसमें आलू यूज किया गया है बाकी सारी इसमें हवा है किसान का एक किलो आलू दोर ढाई रप नर में व्यापारी लूट लेता है उसे एक किलो से चिप्स बना के 00 किलो वो चिप्स मार्केट में बेचता है पैकेट में भरके तो र तीर किसान से खरीदा जिसने छ महीने उसमें मेहनत की उसे दो तीर दाम मिला और जिसने पैकेट में भर के बेचा उसको 00 कितने गुना ज्यादा मिला यह आप अंदाजा लगा लीजिए आप कितना महंगा इसको खरीद रहे हैं कंज्यूमर से हम कहना चाहते हैं कि आप
(28:46) आपकी लड़ाई हम लड़ रहे हैं किसान अनाज जो है कॉरपोरेट की जब में ना जाए किसान के घर में रहे जब तक किसान के घर में अनाज रहेगा किसान उसको उगाए तब तक वो इजली मिल जाएगा लो लोग को आसानी से मिल जाएगा कंज्यूमर को और जब कॉर्पोरेट की जगह में चला जाएगा तो कॉर्पोरेट मनमाने दाम लेगा और ऐसे पैकेट में अनाज को भी कल को बेचा जाएगा तो यही हमारी डिमांड है सरकार से मांग है कि हमें एमएसपी गारंटी कानून मिनिमम सपोर्ट प्राइस आप बना के दो बहरहाल उम्मीद है जब आप अपने शहर में निकलेंगे तो देखेंगे कि चारों तरफ एक ही पार्टी एक ही नेता का विज्ञापन
(29:22) क्यों है आपने अपने जीवन में हजारों मैच का सीधा प्रसारण देखा होगा क्या कभी ऐसा देखा है कि उस मैच में कैमरा केवल एक ही टीम और उस टीम के भी एक ही खिलाड़ी को दिखा रहा है बाकी कोई भी नजर नहीं आ रहा है शायद आपने ऐसा मैच कभी नहीं देखा होगा मगर 2024 में आप भारत का चुनाव ऐसा ही देख रहे हैं देखने जा रहे हैं यही मोदी की गारंटी है नमस्कार मैं रवीश कुमार

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