अरुण गोयल का चुनाव आयोग से इस्तीफ़ा | Arun Goel resigns from the EC

नमस्कार मैं रवीश कुमार जज इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं बीजेपी के सांसद अनंत हेगड़े कह रहे हैं 400 सीटें चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है चुनाव आयुक्त अरुण गोयल अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं संवैधानिक व्यवस्था के बीजेपी के पानी में नमक की तरह घुल जाने के इस समय में जनता खबरदार ही नहीं होना चाहती है अरुण गोयल का चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा देना बंगाल के दौरे के बाद इस्तीफा देना बंगाल के चुनाव और चुनाव आयोगों के संबंधों को भी नए सिरे से रोशनी में लाता है इस राज्य में चुनाव आयोग को जिस राजनीतिक संदेह से देखा जाता है और

 

Arun Goel Resigns from Election Commission: What Led to the Surprising Move?

(00:40) क्यों देखा जाता है हम इस पर आज के वीडियो में बात करेंगे जिस दिन चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बंड की जानकारी प्रकाशित करेगा उसी दिन दो-दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कमेटी विचार कर रही होगी जिसमें सरकार का ही बहुमत है एक तरफ प्रधानमंत्री ही चुने ंगे कि चुनाव आयुक्त कौन होगा अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया आईएएस की सेवा से उन्होंने वीआरएस लिया रिटायर हुए और इसके 24 घंटे के भीतर चुनाव आयुक्त बना दिए गए कई नामों की सूची में से अरुण गोयल का चुनाव हुआ तो सुप्रीम कोर्ट के भी कान खड़े हो गए कि इतनी

(01:19) हड़बड़ी इतनी जल्दबाजी क्यों क्या अपने किसी खास को चुनाव आयुक्त बनाने के लिए यह सब किया गया सुप्रीम कोर्ट ने अरुण गोयल के मामले में ही कहा था कि चुनाव आयुक्त यस मैन नहीं होना चाहिए ऐसा होना चाहिए जो प्रधानमंत्री के मामलों की भी जांच कर ले मगर जिस आयुक्त को यस मैन की तरह देखा गया उन्होंने किस बात पर नो कह दिया इस्तीफा दे दिया झट से स्वीकार भी हो गया इस वीडियो में इस पर बात जरूरी है संवैधानिक संस्थाओं में संपर्क की बात तो अब खुद भीतर के ही लोग करने लगे हैं अपने संपर्क की बात बाहर आकर बताने लगे हैं इस तस्वीर को देखिए संपर्कों की सारी सीमाएं टूट गई

(02:01) हैं 4 दिन पहले तक जो शख्स जज था वह कैसे प्रधानमंत्री के हाथ पर अपना सर झुका रहा है और प्रधानमंत्री मुस्कुरा रहे हैं पर्दे में कुछ भी नहीं सब आपकी आंखों के सामने है सब दिख रहा है कि गांगुली का मोदी से संपर्क कैसा था और कैसा है मोदी के संपर्क में आने के लिए गांगुली ने क्या-क्या किया और संपर्क में आने के बाद मोदी गांगुली के लिए क्या-क्या करने जा रहे हैं आप देख रहे हैं भीतर का संपर्क बाहर मंच पर खिलखिला रहा है जस्टिस गांगुली पर आरोप लग रहे हैं कि जज की कुर्सी पर बैठकर उन्होंने न्यायपालिका की साख को टोपी पहना दी लेकिन यहां तो साफ

(02:39) दिख रहा है कि जस्टिस गांगुली को बीजेपी ने अपनी टोपी पहना दी है परिवारवाद की आलोचना करने वाली बीजेपी का यह संपर्क वाद यहां गुल खिला रहा है न्यायपालिका से लेकर चुनाव आयोग तक में घुन लग रहे हैं एक ऐसे समय में जब इस जज के फैसले की समीक्षा की बात हो रही है चुनाव आयुक्त के पद से अरुण गोयल के इस्तीफा े को लेकर संदेह और चिंताएं बढ़ गई हैं इस्तीफे के बाद के खातिर क्या-क्या करने वाले हैं निर्वाचन आयुक्त का इस्तीफा सामान्य घटना नहीं है उनके इस्तीफे से चुनाव आयुक्त के दो-दो पद खाली हो जाते हैं बस रह जाते हैं अकेले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार

(03:43) आखिर हुआ क्या होगा कि अरुण गोयल ने निर्वाचन आयुक्त के पद से इस्तीफा ही दे दिया जबकि वे 2027 में रिटायर होते मुख्य चुनाव आयुक्त भी बनने का उन्हें मौका था क्या बंगाल में चुनावी तैयारियों को लेकर अरुण गोयल और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बीच टकराव बढ़ गया या टकराव किन बातों को लेकर हुआ होगा कुछ तो बात हद से गुजरी होगी तभी तो अरुण गोयल ने अपने इस्तीफे का ईमेल मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजा तक नहीं ऐसा नहीं है कि सीईसी उनके बॉस हैं मगर तब भी उनका सीईसी को नहीं बताना अपने आप में दिखा रहा है कि देश की सबसे महत्त्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं की

(04:22) आंतरिक स्थिति कितनी खराब हो चुकी है अरुण गोयल ने अपना इस्तीफा सीधे राष्ट्रपति को भेजा और 24 घंटे के भीत स्वीकार भी हो गया अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट के जरिए इसी तरह की जानकारियां सामने आई हैं विवाद व्यक्तिगत टकराव में क्यों बदला उसे पूरी तरह समझने में यह जानकारियां शायद काफी नहीं लेकिन दिख रहा है कि अरुण गोयल अब और बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं थे खबरें छपी हैं कि गृह सचिव अजय भल्ला ने मध्यस्थता करने की कोशिश की मगर सफल नहीं हुए अरुण गोयल ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजा और उसे 24 घंटे में स्वीकार कर लिया गया 5 मा मार्च को कोलकाता में होने

(05:01) वाली प्रेस वार्ता में वे शामिल नहीं हुए और दौरा बीच में छोड़कर वापस आ गए तब कहा गया कि सेहत खराब होने के कारण आना पड़ा लेकिन अब हिंदू में महेश लांगाह एकदम ठीक थी वापस आने का असल कारण थे सीईसी राजीव कुमार आगे बढ़ने से पहले हम यहां बताना चाहेंगे कि इस सरकार से लोहा लेना आसान नहीं अगर गृह सचिव अजय भल्ला मध्यस्थता कर रहे हैं अरुण गोयल तब भी नहीं मान रहे हैं तब यह बात बेहद गंभीर ही होगी 2019 की एक घटना का यहां जिक्र जरूरी है अशोक लवासा ने आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चीट देने से इंकार

(05:43) कर दिया उन्होंने चार अलग-अलग मामलों में प्रधानमंत्री को क्लिन चिट दिए जाने से इंकार किया और प्रतिकूल टिप्पणी की अशोक लवासा चाहते थे कि चुनाव आयोग उनकी अल्पमत की राय को दर्ज करें उनकी एक चिट्ठी भी मीडिया में आई जिसमें उन्होंने कहा कि कई मामलों में उनके अल्प मत के फैसले को दर्ज नहीं किया जा रहा और लगातार उनकी राय को दबाया जाता रहा है 18 अगस्त 2020 को इस्तीफा दे दिया जो 13 दिन बाद स्वीकार किया गया अशोक लवासा इस्तीफा नहीं देते तो मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते थे उन्होंने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दिया अशोक लवासा के खिलाफ ही भ्रष्टाचार के मामलों

(06:20) में जांच बिठा दी गई उनके बेटे से ईडी ने फेमा के केस में पूछताछ की आरोप था कि उनकी कंपनी में मशस की एक कंपनी ने पैसा लगाया उनकी पत्नी नोबल सिंगल लवासा की कुछ कंपनियों में हिस्सेदारी के बारे में आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस दिया पेगासस जासूसी कांड की रिपोर्ट में द वायर ने लिखा कि अशोक लवासा का फोन भी उस सूची में था जिन पर संभावित रूप से जासूसी सॉफ्टवेयर डाला गया था अशोक लवासा के बाद अब अरुण गोयल का यह इस्तीफा हुआ है कोई मुख्य चुनाव आयुक्त बनने का अवसर क्यों ठुकराएगा ठुकरा सकता है जब वो यह तय कर ले कि इस पद पर संविधान

(06:58) की रक्षा करने के लिए आए आया है पद पर बैठकर उसके साथ छेड़छाड़ करने नहीं अशोक लवासा के इस्तीफे का कारण आपके सामने है अरुण गोयल ने इस्तीफा किन कारणों से दिया पता नहीं क्या बगावत में इस्तीफा दिया अभी पूरी तरह साफ नहीं यह इसलिए बता रहा हूं कि सरकार में नहीं बोलना है अफसरों को ठीक से पता चल गया है बोलने की क्या कीमत होगी उन्हें याद भी हो गया है ईडी और आईटी वही चलाते हैं फर्जी केसों में वही फंसाते हैं तो ऐसे अफसरों से भरे तंत्र में कोई चुनाव आयुक्त बगावत कर जाए कोई साधारण घटना नहीं टाइम्स ऑफ इंडिया में भारतीय जैन की

(07:35) रिपोर्ट अरुण गोयल के इस्तीफे में कुछ नए एंगल जोड़ती है इसमें लिखा है कि अरुण गोयल के इस्तीफे से एक दिन पहले तक चुनाव आयोग में सब कुछ सामान्य था 7 मार्च को गोयल और राजीव कुमार ने 27 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के साथ बातचीत की इसका आयोजन विदेश मंत्रालय ने किया था द हिंदू के महेश लंगा की रिपोर्ट से अलग इस रिपोर्ट में भारती जैन ने लिखा है कि बंगाल में अ अरुण गोयल की तबीयत वाकई खराब हुई थी 5 तारीख की सुबह रोय ग्रैंड होटल में उनके लिए एक डॉक्टर को भी बुलाया गया दवा शुरू हुई लेकिन अरुण गोयल को फिर भी ठीक नहीं लगा इसलिए वह प्रेस वार्ता में

(08:12) शामिल नहीं हुए उसके बाद अरुण गोयल जब वापस दिल्ली आए तो पूरी टीम के साथ एक ही फ्लाइट में आए जिसमें सीईसी राजीव कुमार भी थे 8 मार्च को गृह सचिव अजय भल्ला के साथ बैठक थी जिसमें तय होना था कि कहां कैसे तैनाती होगी उसी दिन अरुण गोयल ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया यह जानकारी महेश लंगा ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखी है दोनों की रिपोर्ट में इतना ही अंतर है कि भारतीय जैन कहती हैं अरुण गोयल की तबीयत खराब थी डॉक्टर ने देखा था महेश लंगा की रिपोर्ट कहती है अरुण गोयल फिट आदमी है उनकी तबीयत ऐसी नहीं थी कि कोई पद से इस्तीफा दे दे उसके बाद अरुण गोयल

(08:50) निर्वाचन सदन नहीं गए जो चुनाव आयोग का मुख्यालय है द हिंदू के महेश लंगा ने सूत्रों के हवाले से लिखा है बंगाल दौरे के दौरान दोनों के बीच बीच मतभेद दिखाई दिए किसी को इस्तीफे की जानकारी नहीं थी दोनों के बीच मतभेद है इसकी भी जानकारी नहीं थी क्योंकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने नौ राज्यों में चुनाव कराए तब भी दोनों के बीच इस तरह से मतभेद नहीं उभरे थे लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स की अदिति अग्रवाल की रिपोर्ट इस पूरे प्रसंग में कुछ नए विवाद जोड़ती है अदिति ने बताया कि 17 फरवरी को यह विवाद सामने आया जब शिवसेना

(09:29) का नाम और सिंबल एकनाथ शिंदे के गुट को दे दिया गया 1971 में चुनाव आयोग का सर्वसम्मति से एक फैसला था कि जब भी ऐसा मामला आएगा तब देखा जाएगा कि विधायिका में और पार्टी के संगठन के भीतर किसका बहुमत है मगर शिवसेना से सिंबल लेने के मामले में संगठन के भीतर बहुमत पर विचार ही नहीं किया गया इस आदेश में असहमति दर्ज नहीं की गई मगर दो आयुक्तों की राय अलग-अलग थी इसी आधार पर एनसीपी का सिंबल और नाम अजीत पवार गुट को दे दिया गया इससे अरुण गोयल सहमत नहीं थे साथ ही जब चुनाव आयोग के मुख्यालय में रखरखाव और पुनर्निर्माण का काम हो रहा

(10:09) था तब अरुण गोयल ने पैसा बहाने पर आपत्ति जताई वे चुनाव आयोग के अधिकारियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने का भी विरोध करते रहे हैं उनकी आपत्ति इस बात को लेकर भी थी कि चुनाव आयोग के अधिकारी जब भी जब्ती करते हैं तब प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते हैं उम्मीद है आप इन बातों को प्राथमिकता देंगे और ध्यान से सुन रहे हैं क्या चुनाव आयोग में यह सब हो रहा है आचार संहिता लागू होने के बाद जब भी जपती होती है तब प्रक्रिया का पालन नहीं होता है तो क्या इन जपति हों को राजनीतिक नजरिए से देखा जा सकता है एक सवाल और है कि क्या विपक्ष के नेताओं को ज्यादा टारगेट किया

(10:47) जा रहा है उम्मीद है अरुण गोयल अपनी जवाबदेही समझेंगे और सूत्रों के हवाले से छन कर आ रही इन सभी जानकारियों को देश हित में सार्वजनिक करेंगे बंगाल की तैयारियों को लेकर अरुण गोयल और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बीच मतभेद की खबरें सभी जगह हैं बंगाल में यह राजनीतिक मुद्दा भी बनने लगा है कोलकाता में जन गर्जना रैली के दौरान ममता बैनर्जी ने इस्तीफा देने वाले अरुण गोयल को सलामी दी शुरुआत में ही ममता बैनर्जी ने कहा सबसे पहले इस्तीफा देने वाले चुनाव आयुक्त को सलाम करना चाहती हूं न्यूज़ रिपोर्ट है कि कैसे वे बंगाल पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं लेकिन

(11:23) गोयल ने स्वीकार नहीं किया इससे साबित होता है कि केंद्र चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रहा है चुनाव आयोग बीजेपी सरकार के इशारे पर काम कर रहा है मई 2021 में चुनाव जीतने के बाद विधानसभा में पहली बार बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा था चुनाव आयोग मदद ना करता तो भाजपा को 30 सीटें भी ना आती इस चुनाव में आयोग की नाक के नीचे रिगिंग हुई है उन्होंने मांग की कि फौरन चुनावी सुधार किए जाएं नहीं तो देश का लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में होगा उस चुनाव में टीएमसी ही नहीं वामपंथी दलों ने भी शिकायत की थी कि मतदान केंद्रों पर हुड़दंग हुआ है और चुनावी प्रक्रियाओं की

(12:00) अवहेलना हुई है आरोप लगाया गया कि गुंडों ने बूथों पर कब्जा कर लिया और चुनावी मशीनरी और पुलिस चुपचाप देखती रही बंगाल में ईडी और जांच एजेंसियों का प्रकोप पहले से रहा है तृणमूल नेताओं के यहां छापे मारना जेल में डालना फिर बीजेपी में बुला लेना जब से जस्टिस गांगुली इस्तीफा देकर बीजेपी में आए हैं तब से यह भी चर्चा चल पड़ी है कि कोर्ट का इस्तेमाल होने लगा है चुनाव आयोग को लेकर पहले से ही चर्चा चलती रही है मगर बंगाल के दौरे से लौटकर इस्तीफा देने से चुनाव आयोग को फिर से उसी संदेह की नजरों से देखा जा रहा है 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में सात चरणों में

(12:38) मतदान हुए हर चरण में धीरे-धीरे केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ा दी गई प्रथम चरण में 50 प्र बूथों पर तैनाती की गई चौथे चरण तक आते-आते 988 प्र बूथों पर तैनाती कर दी गई भाजपा ने केंद्रीय बलों की तैनाती का स्वागत किया लेकिन विपक्षी दलों ने कहा था उन्हीं केंद्रों से ज्यादा शिकायतें आई हैं जहां केंद्रीय बल तैनात है विधानसभा चुनावों के दौरान बढ़ी हुई तैनाती को लेकर रिपोर्ट आने लगी तो खुद चुनाव आयोग को सामने आकर कहना पड़ा कि केंद्रीय बलों की तैनाती आम प्रक्रिया है सभी राज्यों में होती है 2016 में विधानसभा की 294 सीटों के लिए मतदान सात चरणों में कराए गए 2021
(13:21) में आठ चरणों में 27 मार्च 2021 से लेकर 29 अप्रैल 2021 के बीच किसी चरण में 31 सीटें थी तो किसी चरण में 35 सीटों पर मतदान हुआ 2 मई को वोटों की गिनती हुई पांचवें चरण के लिए अप्रत्याशित रूप से 853 कंपनियां तैनात की गई थी जबकि केवल 45 सीटों के लिए मतदान हुए एक राज्य में चुनाव संपन्न होने में एक महीना लगाया गया 2016 की तुलना में 2021 में बीजेपी की सीटें बढ़ गई मगर ममता बनर्जी की जीत पहले से भी बड़ी हो गई पिछले चुनाव के मुकाबले दो सीटें ज्यादा जीती और वोट शेयर में भी तीन प्रतिशत का इजाफा हुआ चुनाव आते ही बंगाल अलग दिखाया जाने लगता है कंपनियों
(14:04) की तैनाती की संख्या इस तरह से बताई जाती है जैसे भारत का सबसे अशांत और अराजक राज्य बंगाल है यही नहीं सात से लेकर आठ चरणों में लोकसभा और विधानसभा के लिए मतदान कराए गए अरुण गोयल के इस्तीफे ने बंगाल की राजनीति में चुनाव आयोग को फिर से मुद्दा बनाया है अधिसूचना के समय ही पता चलेगा इस बार बंगाल को लेकर चुनाव आयोग की तैयारी किस तरह की है अरुण गोयल का इस्तीफा बंगाल से लौटने के बाद हुआ है इसलिए इन संदर्भों को आप किनारे नहीं कर सकते यह मामला असाधारण है बता रहा है कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं के भीतर भी घुन लगने लगा है आपको याद दिलाना
(14:42) चाहते हैं जब अरुण गोयल चुनाव आयुक्त बनाए गए तब चुनाव आयुक्त का पद 6 महीने से खाली था इतने लंबे समय से चुनाव आयुक्त का पद खाली रहे यह ठीक बात तो नहीं तो इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने सुनवाई चल रही थी तभी अरुण गोयल की फटाफट नियुक्ति कर दी जाती है है यह वही अरुण गोयल हैं जिनके चयन को मिली चुनौती की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें ऐसे चुनाव आयुक्त चाहिए जो यस मैन ना बने जो घुटनों पर रंगे नहीं बल्कि जरूरत पड़े तो प्रधानमंत्री पर भी कार्रवाई करें एडीआर ने उनकी नियुक्ति के खिलाफ याचिका दायर की थी और प्रशांत भूषण
(15:16) ही वकील थे कहा कि जिस तरह से अरुण गोयल की नियुक्ति हुई है उससे चुनाव आयोग की स्वायत्तता और स्वतंत्रता प्रभावित हुई है सुप्रीम कोर्ट ने भी हैरानी जताई कि इनके चयन में इतनी जल्दबाजी क्यों मचाई गई कोर्ट ने सरकार से 24 घंटे के भीतर जानकारी मांगी कि बताइए यह सब कैसे हुआ जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि चयन को लेकर कोई नियम नहीं है लेकिन हम देखना चाहते हैं कि क्या आपकी प्रक्रिया से ऐसे व्यक्ति का चुनाव हो सकता है जो स्वतंत्र हो सरकार का यह तर्क था कि चार अफसरों के बैच में वे सबसे युवा हैं इसलिए उनका चयन ठीक रहेगा ताकि वह लंबे समय तक पदभार
(15:51) संभाल सकें उस समय प्रशांत भूषण ने कहा कि 1985 के उनके बैच में कई अफसर उनसे भी युवा हैं उनके नाम पर विचार नहीं किया गया अब उन्होंने ही इस्तीफा दे दिया है क्या फायदा हुआ युवा अफसर को चुनने का अरुण गोयल का कार्यकाल 2027 तक था लेकिन 3 साल पहले ही इस्तीफा दे गए जिस व्यक्ति के चयन पर यह कहा गया कि चुनाव आयुग घुटनों के बल ना रंगे उस व्यक्ति का अचानक इस्तीफा देना क्या इशारा कर रहा है क्या कहा गया या खुद से इस्तीफा दे गए अगर उन पर किसी भी तरह का दबाव बनाया जा रहा था तो सवाल है पिछले साल नौ राज में चुनाव हुए क्या उन पर तब
(16:31) भी दबाव बनाया गया क्या वह झुक गए थे या विरोध किया था सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की एक व्यवस्था बनाई थी सरकार ने उसे रद्द कर दी और संसद से नया कानून बना लाई इस कानून के तहत पहली बार चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होनी है क्योंकि अनूप चंद्र पांडे चुनाव आयुक्त के पद से रिटायर हो चुके हैं अब अरुण गोयल का इस्तीफा मंजूर हो चुका है तो अब नए कानून के अनुसार प्रधानमंत्री दो-दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तय करेंगे जो कमेटी फैसला करेगी उसमें बहुमत सरकार का अनूप चंद्र पांडे को रिटायर हुए 23 दिन हो गए हैं कायदे से उनके रिटायरमेंट के पहले या
(17:07) सात के साथ नियुक्ति हो जानी चाहिए थी खासकर तब जब 2024 के चुनाव की तैयारी होनी है और अधि सूचना जारी होनी है नए आयुक्तों की नियुक्ति पर सबकी नजर होगी होनी चाहिए क्या वही व्यक्ति बनेगा जो पहले से संपर्क में होगा और बाद में भी संपर्क में रहेगा बीजेपी का संपर्क वाद संविधानवाद पर हावी हो हो गया है विपक्ष में परिवारवाद और बीजेपी में संपर्क वाद संस्थाओं की घाव का मावाद सड़कों पर बहने लगा है नमस्कार मैं रवीश कुमार

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