SBI पर कोर्ट का कड़क ऑर्डर | SC dismisses SBI’s plea for extra time

नमस्कार मैं रवीश कुमार अगर 12 मार्च तक बिजनेस खत्म होने के समय तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इलेक्टोरल बंड की जानकारी नहीं दी चुनाव आयोग को जानकारियां नहीं सौंपी तो बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू हो जाएगी इतनी सख्त चेतावनी आज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सुप्रीम कोर्ट से मिली है स्ट बैंक ऑफ इंडिया की अपील की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी एक आखिरी दाव कि किसी तरह चंदे धंधे में शामिल लोगों के नाम छिपा लिए जाएं उन कंपनियों के नाम उन शेल कंपनियों के नाम छिपा लिए जाएं वह अब हाथ से निकल चुका है कोशिश बहुत की गई कि

 

Supreme Court Dismisses SBI's Plea for Extra Time in Landmark Decision

(00:41) उन कंपनियों के नाम सामने नहीं आए उद्योगपतियों का चेहरा सामने नहीं आए किसी तरह लोकसभा का चुनाव तक टल जाए उसके बाद 400 सीटों की बहुमत के अहंकार में किसे क्या फर्क पड़ता है कि चंदा किसने दिया चंदे का धंधा किसने किया यह वह फैसला है जिसने 107 6 अरब के घोटाले से जुड़े लोगों से पर्दा उतार दिया है बस नाम और चेहरा सामने आना बाकी है कहां तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 136 दिन का समय मांग रहा था उसे मिला 3 हफ्ते का समय लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक दिन में सारी जानकारी देनी होगी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास अब 12 मार्च के शाम 5 बजे या अधिक से अधिक

(01:25) देर शाम तक का समय है इस वीडियो को आप पूरा देखिए और ध्यान से रील्स देखने की आदत ने इस देश की संस्थाओं का रील्स बना दिया है इसलिए पूरा देखने का धीरज विकसित कीजिए यह चेयरमैन दिनेश कुमार खरा है जिन्हें शायद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इतिहास में पहली बार सेवा विस्तार मिला इससे पहले प्रबंध निदेशक के पद पर 2 साल का सेवा विस्तार मिला था उन्होंने भारत के सबसे बड़े बैंक के साथ क्या किया चीफ जस्टिस ने पूछ दिया कि एसबीआई की याचिका पर असिस्टेंट जनरल मैनेजर का नाम क्यों है जबकि यह एक गंभीर मामला है इसके जवाब में वकील हरीश सालवे ने कहा कि ऐसा इसलिए है

(02:07) क्योंकि यह काम उन्हीं का है कहां तो चेयरमैन को आदेश के आते ही नेतृत्व संभालना चाहिए था सबको लगाकर जानकारी जुटाने में लग जाना चाहिए था यही वह शख्स है जो भारत के लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ी सबसे बड़ी जानकारी के लिए 166 दिन मांग रहा था यही वह शख्स है जो सवा लाख से अधिक कर्मचारियों के स्टेट बैक बक को तैयार नहीं कर सका कि लगो सब सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है 21 दिनों में ही पूरा करेंगे इस शख्स ने अपने नेतृत्व का प्रदर्शन नहीं किया इसे लीड करना चाहिए था जैसे नोटबंदी का फैसला आते ही सारे बैंक नतमस्तक होकर चुपचाप जुट गए एक ऐसा फैसला

(02:48) लागू करने के लिए जिसका आधार आज तक किसी को ठीक से नहीं पता दिनेश कुमार खरा ने भारतीय जनमानस में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिला दी इस का नाम ठीक से इतिहास में दर्ज होना चाहिए इस मामले में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ जस्टिस संजीव खन्ना जस्टिस बी आर गवई जस्टिस जेबी पार दिवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही थी ऐतिहासिक फैसला देने वाली इस बेंच के सभी जजों का नाम भी याद रखा जाना चाहिए उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन को बोला है कि तुम इसका एफिडेविट फाइल करो कि तुमने यह अब आज का आदेश

(03:27) कंप्ला किया कि नहीं किया अभी हम एकशन नहीं ले रहे हैं लेकिन अगर बाद में भी नॉन कंप्लायंस हुआ तो हमको शायद लेना पड़ेगा तो बहुत अच्छा और बहुत कड़क फैसला जो कि पिछला जो मेन जजमेंट था उसी के तहत आज कोर्ट नेस जमेंट आई थ ल गोलंग वे इन प्रोवाइड ट्रांसर फर पॉलिटिकल फंडिंग ट बी डन एंड द स्टॉपिंग द प्रोसेस ऑफ लीला कर वि द बीजेपी गवर्मेंट टू लीगलाइज थ इलेक्टरल ब सो कंटेंट पशन है नॉट बीन कंसीडर्ड नाउ आम शर इट विल बी कड इफ द स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ड नॉट कमलाई वि लेटेस्ट डर सो ओवरल दिस टू द एडवांटेज ऑफ ग्रेटर ट्रेंसी इन टम टिकल फं अदालत में

(04:29) आज बैंक ऑफ इंडिया अपनी 200 साल की कमाई दांव पर लगाने चला गया एक दलील नहीं टिकी आज सुप्रीम कोर्ट में जो भी हुआ स्टेट बैंक ने जो भी कहा उसे आप स्कूल टीचर के सामने होमवर्क नहीं लाने वाले छात्र के रूपक से बेहतर समझ सकते हैं हम अपने इस वीडियो में इस रूपक के सहारे आपको बताएंगे कि आज मास्टर के सामने होमवर्क नहीं करने का एक भी बहाना नहीं चल पाया बच्चा परेशान था मगर मास्टर समझदार या ए से बनाई गई तस्वीरें हैं क्लासरूम का सीन है छात्र होमवर्क लेकर नहीं आया है मगर लाया है 100 बहाने छात्र ने कहा सर रात में बिजली नहीं थी टीचर ने कहा घर में मोमबत्ती तो होगी

(05:12) छात्र ने कहा मोमबत्ती नहीं थी टीचर ने कहा पड़ोसी के घर जनरेटर नहीं था छात्र ने कहा पड़ोसी शिमला गया था ताला बंद था टीचर ने कहा सूरज 6:30 बजे के बाद डूबा स्कूल की छुट्टी 1 बजे हुई 5 घंटे तक रोशनी थी तब छात्र को नया बहाना सुझा कहा ज्योमेट्री बॉक्स घूम गया पेंसिल नहीं मिला टीचर ने कहा ब्लैंकेट से पेंसिल मंगा सकते थे मैगी मंगा सकते हो होमवर्क के लिए पेंसिल नहीं यही हुआ है आज सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि देश के नंबर वन बैंक है यह हम उससे बेहतर उम्मीद करते हैं कि वह हैंडल करें हमें नहीं पता कि इन 26 दिनों में

(05:52) एसबीआई ने क्या किया है चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से पूछ दिया कि आपने 26 दिनों में क्या किया है उसके बारे में हलफनामे में क्यों नहीं लिखा है स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के वकील हरीश सालवे ने कहा कि हम अलग से हलफनामे में लिख देंगे तब चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले से क्यों नहीं लिखा है हम स्टेट बैंक से पारदर्शिता और ईमानदारी की उम्मीद करते हैं इसके लिए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अंग्रेजी में कैडर शब्द का इस्तेमाल किया इस एक शब्द में दोनों लक्षण आ जाते हैं पारदर्शिता और ईमानदारी कोर्ट ने कहा कि यह हालत हो गई है चीफ जस्टिस ने कहा कि

(06:30) आपने बताया है कि चंदा देने वालों की डिटेल मुंबई ब्रांच भेजे जाते हैं जिन्हें चंदा मिलता है उनकी डिटेल भी मुंबई ब्रांच में है हमने तो वैसे भी नहीं कहा कि मैच कराने की जरूरत है हम केवल जानकारी चाहते हैं तो आपको आदेश का पालन करना पड़ेगा चीफ जस्टिस ने कह दिया कि एसबीआई ने अपने फ्रीक्वेंसी इट पर सवालों के जो तुरंत जवाब होते हैं उसमें कहा है कि बॉन्ड की हर खरीद के साथ अलग से केवाईसी होगी अगर केवाईसी होगी तो आपको मालूम है किसने बंड खरीदा मतलब इस तरह से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी साख गवा दी अपनी नाक कटा ली भारत के स्कूलों

(07:12) में रोज यही होता है जो आज सुप्रीम कोर्ट में हुआ झूठ बोलने वाला छात्र हमेशा सीना फुलाए स्कूल आता है बच्चे का सीना 56 इंच का तो नहीं होता मगर सीना सीना होता है गाल गाल होता है एक और रूपक है जिसका इस्तेमाल करना चाहता हूं पूरे प्रसंग से उस यात्री की याद आ गई जो बिना टिकट लिए रिजर्व बोगी में चढ़ जाया करता था सीट पाने के लिए यात्रियों के हाथ देखने लग जाता था उन्हें तरह-तरह से डराता था दान करो दक्षिणा दो और सीट दो वरना शनिचरा धर लेगा मगर इस बोगी में सीट पर बैठे यात्री खेल समझ चुके थे टिकट कटा कर बैठे थे जान गए कि हाथ देखने वाला फर्जी

(07:57) ज्योतिष है तभी हेड टीटी आ गया और और उसने फर्जी बाबा को ट्रेन से उतार दिया वैसे हाथ देखकर सीट पाने की घटना सही है और प्रधानमंत्री मोदी ने कही है मैं अपना बचपन का एक अनुभव बताता हूं मैं ट्रेवलिंग करता था बहुत और कभी आरक्षण रिजर्वेशन तो कोई सोचना ही नहीं भीड़ बहुत होती थी अन रिजर्व डिब्बे में तो मैं क्या करता था देखता था कि यहां थोड़ा मौका है तो मैं किसी का हाथ पकड़ के शुरू करता ह देखना तुरंत लोग मेरे लिए सीट की व्यवस्था करते थे आइए आइए बैठिए आपको याद दिला दूं कि जब इलेक्टोरल बंड का फैसला असंवैधानिक घोषित हुआ उस दिन

(08:50) से आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले का स्वागत नहीं किया है लेकिन 22 जनवरी को अयोध्या में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद वाद किया उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने न्याय की लाज रख ली मेरी नजर में यहां लाज का इस्तेमाल आपत्ति जनक है मगर फिर भी प्रधानमंत्री ने कहा तो उसी तर्ज पर क्या आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की लाज नहीं रख ली और जब लाज रख ली तो क्या प्रधानमंत्री कह पाएंगे यह बात कि कोर्ट ने भारत के लोकतंत्र की लाज रख ली मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का जिसने न्याय की लाज रख ली न्याय के

(09:40) पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्याय बद्ध तरीके से ही बना गजब का दिन रहा आज का एसबीआई जिस काम को बढ़ा चढ़ा कर बता रहा था कोर्ट ने पकड़ लिया हमने तो कहा ही नहीं आप इतना समय क्यों मांग रहे हैं चीफ जस्टिस ने साफसाफ कहा कि हमने आपसे नहीं कहा है कि आप मिलान करें मैच कराएं आपको केवल जानकारी देनी है खरीदार की और जिसने भुनाया उसके बीच मिलान नहीं करना है तब एसबीआई ने कहा इतना सारा काम हमसे नहीं हो पाएगा तीन-चार महीने लगेंगे तो कोर्ट ने यही कहा ठीक है जितना कुछ है आप उतना दे दीजिए फिर क्लासरूम और टीचर का वही प्रसंग याद आ गया जैसे टीचर ने कहा

(10:25) ठीक है पूरा होमवर्क नहीं किया जितना किया है उतना दिखाओ फिर बच्चा क कहता है सर कॉपी तो दोस्त के बैग में रह गई है नई कॉपी खरीद नहीं सका क्योंकि बाजार बंद था क्या हाल बना दिया है देश का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया नहीं यह स्टेट ऑफ इंडिया है सबको समझ आ रहा था बेंच ने कहा आपकी दलीलों से हमें यह समझ आ रहा है कि आपको इस जानकारी को देने में दिक्कत नहीं है कि किसने बॉन्ड खरीदा कितने का खरीदा और यह भी बताने में दिक्कत नहीं है कि किस पार्टी को कितने का बॉन्ड मिला आप कह रहे हैं कि केवल इसकी मैचिंग की सम समस्या है तो हमने यह बात कही नहीं 26 दिनों में

(11:03) आपने 5000 10000 कुछ तो बॉन्ड का मिलान किया होगा तब हरीश सालवे ने कहा कि हमने देखा है किस तरह से बैंक के लोग संघर्ष कर रहे थे लगे हुए थे चार्ट बनाने में लेकिन चार्ट मैच नहीं कर रहा था तब बेंच ने कहा कि इसमें क्या दिक्कत है हर बंड पर एक गुप्त नंबर होता है जिसे अल्ट्रा वॉयलेट लाइट में देखा ही जा सकता है यही तो करना था तब सालवे ने कहा कि नंबर अलग जगह ज है इसलिए 3 महीने चाहिए मगर कोर्ट ने यह बात नहीं मानी मतलब कोई तो दलील होती जो आज टिक जाती नहीं टिकी सालवे कहते रह गए कि हर फॉर्म को निकालना होगा पेमेंट की डिटेल चेक करनी होगी फिर बॉन्ड और बॉन्ड का नंबर

(11:44) इन सबको मिलाना होगा इस पर जस्टिस गवाई कहते हैं कि हमने तो आपको बॉन्ड खरीदने वाले और चंदा लेने वाले राजनीतिक दलों के बीच मैच करने का काम ही नहीं दिया तब सालवे ने कहा इस फैसले में सुझाया गया है तब जस्टिस गवई कहते हैं कि सुझाव पर मत जाइए जो आदेश में लिखा है उसका पालन कीजिए हरीश सालवे पूरी कोशिश करते रहे कि किसी तरह कुछ दिन मिल जाए पहले 136 दिन मांगते रहे फिर तीन हफ्ते पर आ गए कि बिना सभी डाटा का मिलान किए हुए भी जानकारी देने में तीन हफ्ते का समय चाहिए तब बेंच ने कहा कि किस बात के तीन हफ्ते एक दिन में दीजिए बात खत्म हो गई सुप्रीम कोर्ट ने कह

(12:24) दिया स्टेट बैंक की याचिका में ही पर्याप्त रूप से बताया गया है कि जानकारियां उपलब्ध हैं इसलिए 30 जून तक समय मांगने का आवेदन रद्द कर दिया गया तो जो जानकारी 15 मार्च तक आनी थी वह आएगी 12 मार्च तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सारी जानकारी चुनाव आयोग को हवाले कर देनी होगी और चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर 15 मार्च तक डाल देगा 15 मार्च शाम 5 बजे तक भारत के इतिहास का सबसे बड़ा चुनावी घोटाला और उससे जुड़ी हर जानकारी आपके सामने होगी और अगर बैंक बक ने यह जानकारी आदेश के मुताबिक नहीं दी तो कोर्ट ने कहा है अवमानना की सजा मिलेगी यह वह देश है यही

(13:07) प्रधानमंत्री हैं जो कहते थे स्विस बैंक में काला धन जमा है एक-एक जानकारी सामने आएगी लोगों के खाते में लाखों रुपए जाएंगे और उन्हीं की नाक के नीचे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया चुनावी फंड के काले धन को नहीं बताने के लिए कितना संघर्ष कर रहा था एक मत है कि जो भी जानकारी आएगी उससे फ्रॉड का पता चलेगा कंपनियों का भी और हो सकता है कागजी कंपनियों का भी के पैसा देने के लिए फर्जी कंपनियां बनाई गई यह भी सामने आ सकता है एक मत यह भी है कि जानकारियां बहुत जटिल है इनका फ्रॉड सामने आने में मिलान करने में काफी समय लग जाएगा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जो भी सूचनाएं देगा वह

(13:49) पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती होने जा रही है भारत की सड़ चुकी गोदी मीडिया की पत्रकारिता इस चुनौती को कभी स्वीकार नहीं करेगी रिपोर्टर्स कलेक्टिव न्यूज़ मिनट स्क्रोल और द वायर के चंद पत्रकार कम संसाधनों में भी इसकी रिपोर्टिंग करेंगे ही मगर उनकी खबरों को भी देश की जनता तक पहुंचने नहीं दिया जाएगा एडीआर कॉमन कॉज ने इस याचिका पर कितना काम किया उनकी वजह से आज यह संभव हुआ सीपीएम ने भी याचिका दायर की और कांग्रेस की नेता जया ठाकुर ने भी आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा का नाम तो स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए असली भारत रत्न लोकेश बत्रा ही हैं कपिल
(14:30) सिब्बल प्रशांत भूषण शदान फरासत निजाम पाशा विजय हंसारिया जैसे वकीलों ने बहस की इनका नाम भी लिया जाना चाहिए इन सभी की वजह से भारत के लोकतंत्र का काला सच सामने आया है मगर उसे बताने वाला मीडिया पर्दे के पीछे छिप रहा है जो काम स्टेट बैंक नहीं कर सका वह काम गोदी मीडिया अब कर देगा इस पूरे मामले पर चुप हो जाएगा चैनलों पर फर्जी सर्वे के जरिए 400 सीटों की जीत का कवरेज बढ़ा दिया जाएगा ताकि जनता भूल जाए कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर क्या हुआ था क्या जानकारी आनी थी जो आनी थी वो नहीं आई फिर भी सुप्रीम कोर्ट में आज जिस तरह से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की
(15:09) दलीलें ध्वस्त हुई हैं उससे साफ है कि इस जानकारी को छिपाने के लिए कितना प्रयास किया गया कितने लोग डरे होंगे बेशर्मी की सारी सीमाएं पार कर ली गई डांट पड़ेगी डांट पड़ जाए मगर किसी तरह 15 मार्च की डेडलाइन टल जाए सबने देखा कि इलेक्टोरल फंड के फ्रॉड को सामने लाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फेल हो गए चुनाव के समय देवी देवताओं की आराधना वाली उनकी तस्वीरों को सामने रखकर मैं कुछ सवाल पूछना चाहता हूं प्रधानमंत्री ने इस मामले में सचिता और पारदर्शिता के प्रति अपनी जवाबदेही और ईमानदारी का प्रदर्शन क्यों नहीं किया क्या इन देवी देवताओं के सामने
(15:47) आंखें बंद करते ही उन्हें याद आता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का झूठ संविधान के प्रति किया गया पाप है या धर्म के प्रति किया गया अपराध क्या वे प्रायश्चित कर रहे हैं देवी देवताओं से ही शक्ति मांगे कि इसका सच बाहर लाने की शक्ति उन्हें मिले या फिर गोदी मीडिया के उन सैकड़ों संपादकों उनके मालिकों पत्रकारों के भीतर अपने पेशे का धर्म जगा दे जो पत्रकारिता का धर्म भूल चुके हैं प्रधानमंत्री तमाम देवी देवताओं से आग्रह करें कि अगर मैं इस काम में असमर्थ हों तो इन पत्रकारों को समर्थ बना दें ताकि वे जानकारी पहले पन्ने पर छापक देश की जनता को बता दें कोर्ट के
(16:23) आदेश के बाद सरकार की चुप्पी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का इधर-उधर करना बता रहा है कि कितना कुछ छिपाया जा रहा है या वोह याचिका थी जो सुप्रीम कोर्ट का भी इम्तिहान ले रही थी कितनी बातें होने लगी कि क्या कोर्ट राहत देगा क्या चुनाव से पहले चंदे के पीछे का धंधा कभी सामने आएगा आज सुप्रीम कोर्ट ने उन सारी अटकलों और अफवाहों को खत्म कर दिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की अपील को खारिज कर दिया और रिजेक्ट हो गए वे सारे झूठ जिसे ईडी और गोदी मीडिया के दम पर सरकार और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने सीने पर लगाकर घूम रहे थे नमस्कार मैं रवीश कुमार h

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