खट्टर गए, नायब आए, चौटाला का क्या होगा ? Khattar Govt out, New CM in

मनोहर लाल जी और मैं बहुत पुराने साथी हैं और मनोहर लाल जी के पास एक मोटरसाइकिल रहती थी तो वो मोटरसाइकिल चलाते थे मैं पीछे बैठता था रोहतक से निकलता था और गुरुग्राम आकर के रुकता था ये हमारा लगातार हरियाणा का भ्रमण मोटरसाइकिल प हुआ करता था और मैं 10 साल में 11वी बार तो जा रहा हूं और अभी तो समय बाकी है इंशाल्लाह एक आद बार फिर भी आऊंगा मैं नायब सिंह ईश्वर की शपत लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा नमस्कार मैं रवीश कुमार मनोहर लाल की मनोहर कहानियां आज समाप्त हो गई एक और

 

Khattar Govt Out, New CM In: What Lies Ahead for Chautala?

(01:00) किरदार को बीजेपी ने आज अपने किताब से बाहर कर दिया और वह है दुष्यंत चौटाला जो बिना समर्थन मांगे 2019 में बीजेपी को समर्थन दे आए और साढ़े साल तक उपमुख्यमंत्री रहे आज उन्हें भी नहीं पता होगा कि उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं रहे इनकी कहानी पर भी हम लौटेंगे मगर मनोहर लाल खट्टर की कहानी खत्म कर लेते हैं क्योंकि आज कुर्सी से वही हटाए गए हैं और जिन्हें बिठाया गया है नायब सैनी उनकी भी बात पहले जरूरी है बीजेपी ने जिस निर्ममता से अपने सहयोगी दल को बाहर किया है उतनी ही निर्ममता से अपने मुख्यमंत्री को भी हटाया है उम्मीद है आप हमारे इस निर्मम

(01:44) वीडियो को पूरा देखेंगे यह तस्वीर 11 मार्च की है जिसे आज मुख्यमंत्री बनाए गए नायब सैनी ने ही ट्वीट किया था क्या आपको भी इस तस्वीर में दिख रहा है जो मुझे दिखा प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि बस भाई अब बहुत हो गया मोटरसाइकिल पर बिठाकर तूने इतना घुमाया उसके बदले मैंने मुख्यमंत्री बनाया ढ़ साल तक मुख्यमंत्री बनाए रखा इससे तो कम खर्चे में पेट्रोल भरा करर खुद ही बाइक चला लेता और हरियाणा घूम लेता क्या प्रधानमंत्री इस तस्वीर में यही कह रहे हैं कि खट्टर जी वण कम गुड बाय आप देखिए यहां भी जब पीएम खट्टर जी की बात याद कर रहे हैं तो खट्टर जी कितना

(02:28) मुस्कुरा रहे हैं मनो ल जी और मैं बहुत पुराने साथी है दरी पर सोने का जमाना था तब भी साथ काम करते थे और मनोहर लाल जी के पास एक मोटरसाइकिल रहती थी तो वह मोटरसाइकिल चलाते थे मैं पीछे बैठता था रोहतक से निकलता था और गुरुग्राम आ कर के रुकता था यह हमारा लगातार हरियाणा का भ्रमण मोटरसाइकिल पर हुआ करता था और मुझे याद है उस समय गुरुग्राम में मोटरसाइकिल पर आते थे रास्ते छोटे थे इतनी दिक्कत होती थी आज मुझे खुशी हो रही है कि हम भी साथ है और आपका भविष्य भी साथ है निकटता से कुर्सी मिलती है उसी निकटता

(03:32) के प्रदर्शन से कुर्सी चली भी जाती है जिस व्यक्ति ने अपनी बाइक पर नरेंद्र मोदी को हरियाणा में घुमाया हो उस व्यक्ति को कुर्सी से पैदल कर देने की यह निर्ममता ही मुझे राजनीति से हमेशा दूर रखती है आप भी दूर रहे बाइक वाली पुरानी बात सुनकर इस वीडियो में खट्टर जी जिस तरह से मुस्कुरा रहे हैं कुर्सी जाने के बाद इस वीडियो को देखते हुए पता नहीं मुझे क्यों लग रहा है जैसे हंसी आ नहीं रही है मगर हंसना पड़ रहा है क्योंकि लतीफा प्रधानमंत्री सुना रहे हैं क्या खट्टर साहब को इस वक्त तक पता चल गया था कि वे हटा दिए जाने वाले हैं अगर मालूम होने के बाद भी खट्टर साहब

(04:15) इस तरह खिलखिला करर छलक रहे हैं तो यही राजनीति की निर्ममता है रोने के टाइम में भी हंसना पड़ता है मनोहर लाल खट्टर 9 मार्च को गुरुग्राम से सटे मेवात में थे खट्टर मेवात के नायक शहीद हसन खान मेवाती की शहीदी दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे मैं उनके भाषण को सुनने लगा उर्दू की ऐसी गमक और खनक उनके भाषण में सुनी कि क्या ही कहं लगा कि लखनऊ की गिलौरी यां कसैलिया को दबाते हुए घुलती जा रही हैं 9 मार्च को खट्टर मेवात के इसी कार्यक्रम में एक उदार मुख्यमंत्री के रूप में नजर आ रहे थे उनके कार्यकाल में मेवात और नूह सांप्रदायिक ज्वार का एक ऐसा

(04:58) रेडीमेड क्षेत्र रहा जब कहीं भी कुछ नहीं होता था यहां हो जाता था कब वहां पंचायत हो जाए कब हिंसा हो जाए पता नहीं चल पाता था इसी मेवात से सटे नूह में जब बुलडोजर चलने लगे 250 घरों और इमारतों को तोड़ डाला गया तब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच ने कहा यह नसली कार्रवाई है एथनिक क्लींजिंग अगस्त 2023 में जस्टिस जीएस संवारिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन ने कहा था सत्ता भ्रष्ट करती है और और निरंकुश सत्ता पूरी तरह से भ्रष्ट कर देती है इस टिप्पणी के बाद इस हिंसा के मामले को किसी और बेंच के हवाले कर दिया गया लेकिन खट्टर के भाषण से लगा वे किसी और

(05:42) अतीत में चले आए हैं जिसका आज के मेवात और नूह के तनाव से कोई संबंध नहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा था मेवात मिनी पाकिस्तान है लेकिन खट्टर यहां गांधी को याद करने लगे शहीद हसन खान मेवाती को याद करने लगे खट्टर सरकार ने तो हसन खां को शहीद का दर्जा भी दिया और 15 मार्च को बलिदान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी खट्टर ने कहा कि वे ढ़ साल में 11 बार आए हैं अभी तो कार्यकाल बाकी है और भी आएंगे एक चेतावनी है आप दर्शकों को खट्टर का यह बयान सुनकर सेकुलर लोगों को उनसे सहानुभूति हो सकती है इसमें मेरी

(06:24) कोई गलती नहीं न वर्षों में आज मेरा 11वां चक्र मेवात का कोई मुख्यमंत्री आज से पहले इतने काल में अगर पाच साल में पांच या छह बार आया हो मैं चैलेंज करता हूं कभी कोई नहीं आया होगा मुख्यमंत्री हटने के बाद तो चक्कर काट रहे होंगे आकर के फिर से वोटों की भीख मांगी होगी कि आप हमको वोट दे दो हम फिर से आएंगे लेकिन बनने के बाद पा साल कभी भी पांच या छह बार नहीं आए होंगे और मैं 10 साल में 11वीं बार तो जा रहा हूं और अभी तो समय बाकी है इंशा अल्लाह एक आद बार फिर भी आऊंगा इंशा अल्लाह बीजेपी के किस मुख्यमंत्री को आपने इस दौर में इंशा

(07:13) अल्लाह कहते सुना है एक सेकुलर होते नेता की इतनी स्पेक्टाकुलर विदाई हो गई यही राजनीति की निर्ममता है और यह वीडियो निर्मम वीडियो है खट्टर ने महात्मा गांधी और हसन खान मेवाती की प्रतिमा का अनावरण किया वे यहां 700 करोड़ की योजना लेकर आए थे किसे पता था कि गांधी की प्रतिमा का अनावरण करने वाले करुणा से भरपूर मनोहर लाल की मनोहर कहानियां हरियाणा में समाप्त होने वाली हैं मेवात में उनके बयान से साबित होता है कि खट्टर को पूरा भरोसा था बाकी कार्यकाल वही पूरा करेंगे और मेवात का एक दो बार और दौरा करेंगे लेकिन 12 मार्च को उनका कार्यकाल समाप्त कर दिया

(07:56) गया राजनीति में इस निर्ममता के प्रति आपको ज्यादा भावुक नहीं होना चाहिए क्योंकि खट्टर के अपने बयान करुणा भरे नहीं हुआ करते थे इनके कार्यकाल में जाट आरक्षण और राम रहीम की गिरफ्तारी के समय जिस तरह से अराजकता फैली गोलियां चली और लोग मारे गए याद कीजिए महिला पहलवानों ने आंदोलन किया खट्टर ने क्या कभी मुख्यमंत्री के नाते उनका साथ दिया किसान आंदोलन को रोकने के लिए इस बार हरियाणा के गांव-गांव में पुलिस भेज दी गई परिवारों को चेतावनी दी गई कि आंदोलन से दूर रहे इतना सब करने के बाद भी खट्टर की कुर्सी चली गई यही राजनीति की निर्ममता है मनोहर

(08:37) लाल खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी थे मगर मोदी के किस्सों में किरदारों की कमी नहीं है वे कभी भी करीबी तो कभी दोस्त के रूप में किसी को सामने खड़ा कर सकते हैं अनिल विज करीबी होने की उनकी कहानी में शायद फिट नहीं बैठते हैं वे राम रहीम को परोल पर बाहर आने का इंतजाम ही करते रह गए मगर कु मिल गई नायब सैनी को मैं मैं नायब सिंह ईश्वर की शप्त लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा कहानी तो यही है कि नायब सैनी एक समय में बीजेपी के दफ्तर में क्लर्क थे उस समय नरेंद्र मोदी हरियाणा बीजेपी के

(09:23) प्रभारी थे बाद में नायब सैनी अंबाला जिले के युवा मोर्चा का जिला अध्यक्ष बने फिर किसान मोर्चे का प्रदेश महामंत्री और अंबाला जिले का भाजपा अध्यक्ष 2014 में विधायक बने और खट्टर सरकार में मंत्री भी 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद बने 2023 में प्रदेश अध्यक्ष और 2024 में मुख्यमंत्री साल भर पहले नायब सैनी की पत्नी ने यमुनानगर के एक वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ा मगर हार गई चौथे नंबर पर आई खट्टर के जाने पर हाय तौबा करने वाले राजनीति के जानकार कम से कम इतना जा जान ले कि जो गए हैं वह खट्टर थे जो आए हैं वह भी खट्टर हैं यानी प्रधानमंत्री के

(10:05) करीबी हैं यही राजनीति की निर्ममता है नायब सैनी को भाजपा किस रूप में प्रोजेक्ट करेगी आपको जल्दी पता चलेगा यह जरूर है कि हरियाणा में राजनीति का गणित जाट बनाम गैर जाट का रहा है जाटों को नाराज करने में पूर्व सांसद राजकुमार सैनी का भी योगदान कम नहीं रहा तब बीजेपी में राजकुमार सैनी थे जाटों को लेकर खूब बयान दिया करते थे इससे गैर जाटों का ध्रुवीकरण होता था और जाट बीजेपी से दूर जाते थे मगर जब 2019 आया तो राजकुमार सैनी का टिकट कट गया नायब सैनी को कुरुक्षेत्र से टिकट दे दिया गया वे सांसद बन गए राजकुमार सैनी भाजपा के काम आ चुके थे राजकुमार सैनी इन दिनों

(10:48) क्या कर रहे हैं लोकतांत्रिक सुरक्षा पार्टी बनाकर भारत के लोकतंत्र की सुरक्षा में लगे हैं और बीजेपी को गाली देते हैं जाहिर है बीजेपी को अब नया चेहरा चाहिए था राजकुमार सैनी आज गर्व महसूस कर रहे होंगे कि उनकी मेहनत के बदले आज हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद सैनी समाज को मिला है इसे इस्तेमाल हो जाना नहीं कहते हैं बल्कि इसे ही कहते हैं राजनीति की निर्ममता किसी को अपना सर कटाना पड़ता है किसी का सर उठाने के लिए यूपी में यादव महाकुंभ का यह बोर्ड देखिए बिहार में यादव महासम्मेलन दोनों जगह चेहरा एक ही है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का इन्हें घुमाया

(11:31) जा रहा है यूपी हरियाणा और बिहार में जिस यूपी में योगी ने सबसे बड़े यादव नेता को दो-दो बार हराया हो उस यूपी में मोहन यादव यादव महाकुंभ कर रहे हैं यह भी राजनीति की निर्ममता है क्या अब नायब सैनी को भी सैनी महाकुंभ में घुमाया जाएगा क्योंकि पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर सैनी मतदाताओं की अच्छी खासी मौजूदगी है और यह बीजेपी के पारंपरिक वोटर माने भी भी जाते हैं लेकिन जब योगी हिंदुत्व के नायक हैं बीजेपी जाति की राजनीति करती नहीं तब फिर यादव महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश में क्यों होता है क्या जातियों की एकता की बात झूठी है योगी

(12:14) जैसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रहते यूपी में दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री यादव सम्मेलन सैनी सम्मेलन करें यह भी राजनीति की निर्ममता है हमारा वीडियो भी निर्ममता पर है शिवराज सिंह चौहान के जा ने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही भाजपा के सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री बताए जा रहे हैं अचानक से सीनियर मुख्यमंत्री के रूप में उनकी गिनती क्यों हो रही है क्या वे बने रहेंगे इसलिए बताए जा रहे हैं या सीनियरिटी की याद किसी और कारण से की जा रही है कि अब जाने का टाइम है याद दिलाया जा रहा है योगी को हल्के में लेने वाले अक्सर ऐसी गलती कर बैठते हैं अगर बीजेपी

(12:57) को मुख्यमंत्री बनाकर इसी का ढोल पीटना है कि मुख्यमंत्री ओबीसी हैं तब फिर ओबीसी की संख्या कितनी है इसके लिए जाति की गणना से वह इंकार क्यों करती है मूल बात है कि किसी भी फैसले पर राजनीतिक दल कोई ना कोई थ्योरी चिपका देते हैं राजनीति में समीकरण के प्रदर्शन के पीछे का हिसाब किताब किसी को पता नहीं होता कल तक खट्टर मुख्यमंत्री थे वे किस जाति के थे पंजाबी खत्री जिसका हरियाणा में क्या ही वोट है लेकिन आज नायक सैनी के मुख्यमंत्री बनते ही ओबीसी विजय का गीत गाया जा रहा है इतनी तो समझदारी रखनी ही चाहिए कि ओबीसी आज तो नहीं हुए कल

(13:39) भी थे तब ढ़ साल उनकी संख्या के दम पर जो पार्टी राज कर रही थी उन्हें क्या मिल रहा था खट्टर पिछले दो दशक में पहले गैर जाट नेता थे जिन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया बनाया गया क्योंकि 2014 में बीजेपी उनके चेहरे और नाम पर चुनाव नहीं लड़ी थी 2019 में लड़ी तो 22 प्र वोट कम हो गया सात सीटें कम हो गई जिस तरह से जीत के बाद मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान हटा दिए गए खट्टर की विदाई वैसी नहीं हुई बीजेपी खट्टर के नेतृत्व में चुनाव में जाने का साहस नहीं जुटा सकी गुजरात में आपको याद होगा रूपाणी मुख्यमंत्री थे प्रधानमंत्री मिलकर गए एक दिन बाद पूरी

(14:22) सरकार चली गई और नए मुख्यमंत्री को बिठा दिया गया क्या अचानक होने वाले इन सत्ता पर परिवर्तनों के पीछे केवल जाति को महत्व देने की ही कहानी होती है या कहानी कुछ और होती है अब आते हैं आज की कहानी के तीसरे किरदार पर दुष्यंत चौटाला से बीजेपी ने 2019 में समर्थन नहीं मांगा था मगर खुद चलकर समर्थन देने गए और हरियाणा सरकार में उपमुख्यमंत्री बने बाद में खुद ही कहने लगे कि स्थिर सरकार बनाने के लिए गठबंधन हुआ था उपमुख्यमंत्री होने के अलावा दुष्यंत चौटाला को कई अहम विभाग दिए गए दिसंबर 20188 में उन्होंने अपने नाम से एक पार्टी रजिस्टर कराई जननायक जनता पार्टी
(15:05) अपने परिवार की पार्टी इनेलो से दुष्यंत और उनके पिता अजय सिंह चौटाला को निकाल दिया गया था अलग हो जाने के बाद जिस खर्चे पर्चे के साथ वे चुनाव लड़ रहे थे कई जानकार सोच रहे थे कि इनके पीछे कोई अज्ञात शक्ति तो नहीं और उसका नाम बीजेपी तो नहीं 2019 के चुनाव तक आते-आते जाट मतदाता बीजेपी से बहुत नाराज हो गए बेरोजगारी का मुद्दा तो था ही दुष्यंत की नई पार्टी को 15 प्र वोट मिला और सीटें मिली 10 इस पार्टी में भी परिवारवाद है मगर बीजेपी को कहां इन सबसे ऐतराज है दुष्यंत सिंह चौटाला ने पूरे चुनाव में बीजेपी पर निशाना साधा नतीजा आते ही
(15:46) बीजेपी में चले गए एक तरह से जो जाट बीजेपी से नाराज थे वह दुष्यंत के जरिए बीजेपी के काम आ गए क्या इस बार भी यही खेल खेला जा रहा है कि दुष्यंत को बाहर करो ताकि वे भावुकता का नाटक करें शहीद बने और जाट सीटों पर जाटों का वोट काटें भूपेंद्र सिंह हुड्डा अभय सिंह चौटाला दुष्यंत चौटाला के बीच जाट वोट बढ़ता जाए और बीजेपी का रास्ता साफ होता जाए यह तभी सामने आएगा जब दुष्यंत चौटाला बहुत मजबूती से लड़ते हुए देखे जाएंगे भावुकता से भाषण देंगे और गोदी मीडिया में उन्हें ज्यादा जगह मिलेगी बस इस तीन-चार बातों से सब कुछ साफ हो जाएगा कि दुष्यंत के पीछे कौन है
(16:31) दुष्यंत किसके लिए यह सब कर रहे हैं और किसके लिए दुष्यंत को बड़ा बताया जा रहा है यह भी देखते रहिएगा कि दुष्यंत चौटाला बीजेपी को लेकर किस हद तक उग्र होते हैं आक्रमक होते हैं या बीजेपी पर भी निर्भर करता है कि दुष्यंत चौटाला को लेकर किस हद तक वह निर्मम होना चाहेगी कोरोना के समय हरियाणा में अवैध रूप से शराब बिकने का मामला सामने आया शराब वाला मंत्रालय दुष्य चौटाला के पास था 2020 की बात है सोनीपत के गोदाम से शराब का बड़ा स्टॉक गायब हो गया और अवैध शराब की बिक्री की खबरें आने लगी उसके बाद मई 2020 में एसआईटी का गठन हुआ इस दौरान एक्साइज का विभाग दुष्यंत
(17:12) चौटाला के तहत था इस टीम ने अगस्त 2020 में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसे दुष्यंत चौटाला ने मानने से इंकार कर दिया लेकिन खट्टर के बारे में रिपोर्ट हुआ था कि उन्होंने और अनिल विज ने मामले में जांच शुरू करने पर सहमति जताई है उन्होंने फरीदाबाद में कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन रिपोर्ट से सहमत है या असहमत हम किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार स्वीकार नहीं करेंगे बीच-बीच में एसआईटी की रिपोर्ट को लेकर इनके बयान आते रहे दो दिन पहले की खबर है अनिल विज ने बयान दिया है कि अवैध शराब के खिलाफ 22 जिलों में पुलिस ने कार्रवाई की बड़ी बरामदगी हुई है
(17:52) अब पता चलेगा कि ऐसे बयानों को लेकर दुष्यंत पर कितनी तेजी से हमला होता है और ईडी अपना काम काम करती है जितनी तेजी से मनीष सिसोदिया के मामले में ईडी ने काम किया हो सकता है ईडी का इस बार इस्तेमाल ना हो मगर इसके डर से दुष्यंत जाट स्वाभिमान का मुद्दा बनाकर जाट वोट काटने के काम आ जाएं बीजेपी का उससे भी काम हो जाता है कहा जा रहा है कि दुष्यंत चौटाला राजनीति के अग्निवीर हो गए साढ़े साल सत्ता में रहे और बाहर कर दिए गए बीजेपी को फिलहाल सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है गठबंधन में रहते हुए भी बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी
(18:33) के साथ मिलकर निकाय चुनाव नहीं लड़ा अलग लड़ते हुए भी दोनों सरकार में रहे और अब अलग होने के बाद दोनों भीतर से एक दूसरे के लिए कितना काम आएंगे यह पता चलेगा क्या बीजेपी जेजेपी के विधायकों को अपने पाले में लेगी क्या जेजेपी के विधायक अपने जननायक के साथ रहना चाहते हैं जिन्हें बीजेपी ने सरकार से बाहर कर दिया है शाम हो गई हमारी रिकॉर्डिंग में मगर इस समय देश में धर्म की राजनीति चल रही है इसलिए गठबंधन का कोई धर्म होता है राजनीति के पास इसके लिए टाइम नहीं है जिनसे
(19:37) गठबंधन ना करने की बीजेपी ने कसमें खाई नीतीश कुमार से जाकर गठबंधन कर लिया दुष्यंत को गठबंधन में लेकर चुनाव नहीं लड़ सकते थे तो उन्हें बाहर कर दिया खुद से बाहर होना फिर भी राजनीति है मगर उठाकर बाहर फेंक दिया जाना राजनीति की निर्ममता है और इसी निर्ममता पर हमारा आज का वीडियो है खट्टर को हटाकर बीजेपी ने एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का हल निकाल लिया होगा और दुष्यंत को बाहर कर गैर जाट राजनीति का वोट समेट लिया होगा और हां हरियाणा का विकास वगैरह का मुद्दा तो रह ही गया माफी चाहता हूं फालतू बातों के लिए टाइम नहीं मिला नमस्कार मैं रवीश कुमार

[ratemypost]
Scroll to Top